आज हम चर्चा करेंगे उन दवाईयों के बारे में जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। खासकर हमारे देश में क्या बड़ा क्या छोटा सभी इसके मूरीद नजर आते हैं। सामान्य तौर पर आम लोग इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते पर पिछले कुछ सालों से इस प्रकार के नशे का चलन काफी बढ़ गया है।
तो यहाँ हम देखेंगे कि किस तरह की दवाईयाँ ओवर द कांउटर उप्लब्ध हैं जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है।वह हमारे लिए कितना घातक है
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सबसे पहला टाइप – सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेन्ट ये वो ड्रग्स होता हैं जो ब्रेन में मौजूद।न्युरोट्रांसमिटर के लेवल को कम कर देता है। इन दवाओं को डाउनरस् भी कहते हैं। इन दवाओं को नींद न आने पर (insomnia), एन्कजाइटी आदी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। बाजार में ये अल्प्राजोलम , ऐटिवेन , लिब्रियम
, वैलियम ब्रांड नेम से फेमस हैं। इस दवा के निरंतर इस्तेमाल से सिरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे खतरनाक तरीके से ब्लड प्रेशर लो हो जाना।सांसो की गति का कम हो जाना।शरीर का मुवमेंट कंट्रोल में न रहना।
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दुसरा टाइप – डेक्सट्रोमेथोरफेन
ये दवा मोरफ्नेन क्लास ड्रग है। इस दवा में अफीम का कोई अंश नहीं होता और ये मोरफीन से synthesize की जाती है। यो दवा आमतौर पर ठंड और खांसी के लिये प्रिसक्राइब की जाती है और ये एडिक्टिव नेचर की ड्रग नहीं है पर इसका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके पॉपुलर ब्रांड नेम एक्टिकोफ एकोरिल आदी हैं। लेकिन इसके इसके सिरियस साइड इफेक्ट्स जैसेअनियंत्रित उल्टीयां होना
सांसो की गति का कम हो जाना।
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तीसरा टाइप – ओपियेट्स (Opiates)
ये वो दवायें हैं जो अफीम से बनाई जाती हैं या जिनमे अफीम का अंश होता है। ये दवाये मुख्य रुप से पेन किलर होती हैं। इस के पॉपुलर ब्रांड नेमस् हैं मोरफीन है ट्रामाडोल ,
एलप्रेक्स आदी ये दवायें बहुत ही एडिक्टिव नेचर की होती हैं और इसके बहुत सारे साइड इफेक्टस् होते हैं पर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है इसका ओवरडोज होना। इसके साथ ओपियेट्स के और सिरियस साइड इफेक्टस हैं जैसे इंसान का कोमा में चले जाना
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चौथा टाइप – कोडीन बेस्ड कफ सिरप
ये नशे के लिये सबसे ज्यादा पॉपुलर मेडिसिन है, ये ड्रग पेन रिलिफ और खाँसी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। कोरेक्स ब्रांड नेम से ये ड्रग नशा करने वालो के बीच फेमस है। इसके और ब्रांड हैं जैसे टोसेक्स कोडिस्टार इस ड्रग का ओवरडोज होना बेहद खतरनाक होता है इसके साथ धीमा रक्तचाप (Low B.P) और सांस लेने में तकलीफ होना भी शामिल है।
इसके अलावा लंबे समय से इसकी लत का शिकार आदमी दिमागी रुप से अस्थिर भी हो जाता है।
हमारी सोसायटी में इस टॉपिक को लेकर ज्यादा अवेयरनेस नहीं है कि इन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके बावजूद प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज
(prescription drug abuse) लगातार बढ़ रहा है।
आइये यहां हम इसके कारण जानेगे की क्यों इसका चलन बढ़ रहा है।
इन दवाओं को एक ऑल्टरनेट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार एडिक्ट हेरोइन या ब्राउन शुगर जैसे ड्रग हासिल नहीं कर पाता चाहे ऐसा पैसों की कमी के कारण हो या फिर पुलिस के डर से। ऐसी कंडिशन में ये ड्रग ऑल्टरनेटिव का काम करती है।
आसान पहुँच या ease of availability, ये सारे ड्रग जिनकी हमने बात करी फारमेसी/मेडिकल में आसानी से मिल जाते हैं। ये सारे ड्रग “to be sold by prescription only” हैं पर कुछ पैसे देकर ये आसानी से खरीदे जा सकते हैं।
इनमें से कुछ ड्रग्स जब शराब के साथ या दुसरे ड्रग्स के साथ कॉम्बिनेशन के साथ लेते हैं तो नशे की तीव्रता (intensity) बढ़ जाती है। ये प्रेक्टिस बहुत खतरनाक होती है क्योंकि ठीक अनुपात न होने से डोज से मौत भी हो सकती है।
नशे के लिये इन ड्रग्स का युज युवाओं के बीच काफी कूल माना जाता है। और उनको लगता है कि ये शौक उनके कंट्रोल में है तो वो बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं। एक दिन में कुतुबमिनार नहीं खड़ा होता ठीक उसी तरह से धीरे-धीरे ये दवाई आपकी सेहत के लिये समस्याओं का कुतुबमिनार बना देंगी।
हमारे सिस्टम में प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse) के लिये कड़े कानुन हैं पर लागू करने प्रक्रिया बड़ी ही कॉम्पलेक्स है। इस तरह की बुराई से बचने के लिये जागरुता ही सबसे हथियार है।
हमारा आपसे अनुरोध है कि कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें और यदि कभी ऐसी स्तिथी आती है तो प्रिसक्रिपशन के अनुसार तय मात्रा में लें।
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