तालिबान के खौफ़ से तीन दशक पहले अफ़ग़ानिस्तान से भागा एक हिंदू परिवार अपने बेटे के अस्थि विसर्जन के लिए भारत नहीं आ पा रहा है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस परिवार की रिपोर्ट प्रकाशित की थी,
रिपोर्ट के मुताबिक तीन दशक पहले तालिबान शासन के पहला दौर शुरू होते ही नवीन कक्कड़ और उनकी पत्नी अफ़ग़ानिस्तान से जर्मनी चले गए थे. उनके स्पेशल चाइल्ड बेटे निशांत की इस साल फ़रवरी में मौत हो गई. परिवार अब अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आना चाहता है. लेकिन इस परिवार को वीज़ा नहीं मिल पा रहा है.
अख़बार के मुताबिक नवीन और उनके परिवार ने सभी ज़रूरी दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में जब से तालिबान का शासन आया है, वहां के नागरिकों के लिए वीज़ा जारी करने में पूछताछ कड़ी हो गई है. नवीन कक्कड़ के पास अब भी अफ़ग़ानिस्तान का पासपोर्ट है.
अख़बार लिखता है कि फ्रैंकफर्ट ( जर्मनी) में मैकडोनल्ड में काम करने वाले नवीन का मामला अकेला नहीं है. अफ़ग़ानिस्तान के तीन हज़ार सिख और हिंदू परिवार जर्मनी में बसे हुए हैं. उनमें से कइयों के पास अब भी अफ़ग़ानिस्तान का पासपोर्ट है. इनमें से कई भारतीय दूतावास से वीज़ा हासिल करने में नाकाम रहे हैं. या तो उनके आवेदन रद्द किए जा रहे हैं या बगैर किसी कारण के इन्हें नामंज़ूर किया जा रहा है.