मूलवासी बचाओ बस्तर सानियत का बिल लिग (PUCL) बस्तर के लोगों पर लगातार पुलिस सुरक्षाबलद्वारा जारी गैरकानूनी रूप से स्थापित किए जा रहे सुरक्षा का लगातार किए जा रहे उल्लंघन की कड़ी निहारती –
दिसम्बर 2022 में ही से कड़े जगह शांतिपूर्वका धरना प्रदर्शन रहे है जिस पर पुलिस वालों में लोगों की मारपीट व गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया है जिया है या 18 दिसंबर 2022 ग्राम पासत से परिवारों की 20 एकड़ उपजाऊ जमीन जबरन छीनकर नया पुलिस स्थापित किया जा रहा है जहाँ मूलवासी बचाओ मंच के मन में बताया गया है कि वहाँ के पंचायत से फर्जी ग्राम सभा किया गया जिसमें जिला प्रशासन की और से ग्राम सभा 5 लाख रुपये व सरपंच को एक लाख रुपया देने की बात पुलिस जवानों के द्वारा कही गयी है। मगर सरपंच इस बात को नकार रहे हैं 22 दिसंबर 2022 को फर्जी शाम सभा के विरोध में अंडाफोड़ करते हुए घर पर बैठे 16 ग्रामीणों
को पुलिस जवानों ने मारपीट किया,
वैसे ही बीजापुर जिले के घुसनार गाँव में स्थापित किए जाने चाल करता के खिलाफ वहाँ के रोकड़ों गोवाल धरणा पर बैठे है 15 दिसम्बर के देर रात को सैकड़ों की राख्या ने पुलिस व सुरक्षा कर रातोरात बिना राजा की अनुमति से जबरदस्ती कैप खड़ा कर दिया व पूर्जी के धरनास्थल में प्रदर्शन करने वालों को बेहरानी से मारपीट की कई बुजुर्ग लोगों को भी गम्भीर चोट पहुँचा कईयों को झूठे केसों में फसा कर उनको हिरासत में की गई मूलवासी बचाओ मंच के विज्ञप्ति में उन्होंने बताया है कि पाडिला की स्थिति गंभीर है। उनके इलाज के लिए किसी की जनप्रतिनिधि की सहायता नहीं मिल रही है उन सब पहनाओं के संदर्भ में मनवासी बचाओ संघ ने एक न्यायिक जाँच की मांग की
धरना स्थल पर पहुँने से सामाजिक कार्यकर्ताओं की शिरोका जा रहा है. 24 दिसम्बर को सोनी सोरी जी व पत्रकार लिंगाराम कोडोपि को रोका गया उनका पास के एक गाँव में रात बिताना पड़ाव लगातार उनको वहाँ से निकलने के धमकियाँ दी गयी, पूर्व विधयस्क मनीष कुंजाम को भी घटना स्थल तक पहुंचने से रोका गया
छत्तसौगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार बस्तर से हो रहे मानवाधिकार पर आवाज उठाकर वहाँ की जनता का वोट जीतकर सत्ता में आई है- यह वादे देते हुए कि बस्तर की आदिवासी जनता के अधिकारों का सुरक्षा करेगे चाहे वो विस्थापन के खिलाफ हो या जेल में विचाराधीन कैदी की रिहाई की बाल हो फिर बढ़ते सैन्यिकरण व पुलस व सुरक्षाबलद्वारा आदिवासी जनता पर की जा रही हिंसा पर रोक लगाने की हो लेकिन जब कांग्रेस सत्ता में आई तो जगह जगह पुलिस कैंप गैर कानूनी रूप में बनाई जा रही है और लगातार वहां के आदिवासियों के मानवाधिकारों का
किया जा रहा है-पीट में और पत्रकारों व सामाजिक के आने-जाने पर रोक लगातार बढ़ रही है।
पिछले साल में दक्षिण जिली हो हो रही सड़क निर्माण की कारण बताते हुए सब कुछ किलोमीटर के दूरी पर सरकार कर रही है जिसका लोगों द्वारा जरदार विरोध की जा रही है. जगह जगह ने अपना कम की है कि बिना ग्रामसभा ( अनुमति से रूप नहीं बन सकती हरोन से पुलिस व सरकार में बहुत सेवा व आदोलनको पर खुलेआम हिंसा की है मिलगर पुलिस से लोग मारे गए सेक की मारपीट हुई है उसे ही पुसार बेचपालजी धारा गोरा आदि आन्दोलनों में कई लोगों पर लाठीचारपटक गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ली गई है हर आंदोलन मैं बस्तर बाहर से पत्रकार सामाजिक कार्य को आने पर रोक लगाई गई है या कई गई है वा नेतृत्व के तहत साग के सभी जिलों को शामिल करते हुए मूलवासी ओम की स्थापना सिर गोलीका तुरंत बाद मई २०३१ में की गई पिछले साल में कई बन विज्ञप्ति चिट्ठी जारी की है उनके प्रतिनिधि से सरकार व प्रशासन के साथ कई बार आमने सामने मुलाकात करके वार की कोशिश भी की है उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर हर जिले के कलेक्टर से मुलाकातों के कांगो रखा है. सुरक्षा का बिना ग्रामसभा के अनुमति से स्थापित किया जाना गैर-धानिक है जहाँ के गाववालों के लिए बहुत ही खतरा सारस्यापि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कई बार स्वीकारा है पुलिस व सुरक्षाबलों द्वारा निहते गांवाले बच्चे सहित पुलिस द्वारा में गए है, कई महिलाओं का बलात्कार किया गया है, घरो का टपट हुआ है व वहाँ के संकी आदिवासियों को उत्पीडित किया गया है. बढ़ते सैन्यिकरण के आह में गाँववालों को रोज इस खतरे व डर के माहौल में जीव पड़ता है. इसी के चलते बस्तर की आदिवासी जनता अपने लोकतांत्रिक संवैधानिक एक मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए जगह जगह कैम्प का शांतीपूर्वक विरोध कर रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा एक तरह से लगातार आदिवासियों पर पुलिस की हिंसा व उसके मानवाधिकारों का इतन
• किया जाना व इस तरह से लगातार लोगों के लोकतानिक अधिकारी का कुचले जाने की घोर निंदा करते हैं।
दिसम्बर के महीने में लगातार शांतिपूर्ण आंदोलनों को रात के अंधेरे में बिना बातचीत के दमकारी तरीकों से बस्तर संभाग के जिलों में 18 पुलिस कैम्प स्थापित किये गए। इस तरह से पुलिस को बिना ग्रामसभा की अनुमति और निजी जमीन मालिक के अनुमति के बार संभाग में स्थापित करता पेशा कानून का उल्लंघन है, एक तरफ सरकार पेशा कानून देकर लोगों से वाह वाही ले रही है और दूसरी ओर उसी कानूनी प्रक्रिया व लोकतांत्रिक ढाचे की हानी पहुंचा रही हैं।
बस्तर संभाग में जब भी नया पुलिस कैम्प खुला है तब सब संयुक्त फोर्स ने आदिवासियों की फर्जी नक्सल मुठभेड दिखाया है। फजी मुठभेड़ के साथ साथ हत्या करने के उपरात आदिवासियों को शव का अंतिम संस्कारे आदिवासी रीती रिवाज से करने नहीं दिये हाल ही में भैरमगढ़ क्षेत्र के तिम्मेनार गाँव मे एक आदिवासी युवक की जिला सुरक्षा बल (PRG) के जवानों द्वारा हत्या किया गया और शव को डीजल डालकर जलाया गया है।
बस्तर संभाग के अंदरुनी क्षेत्रों में आदिवासीयों द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन आज भी पुलिस कैकसी से विरोध में पल रहे हैं। इस आन्दोत्स्ना के आंदोलनकारियों को तरह तरह के धमकिया स्थानीय पुलिस प्रशासन के द्वारा व पुलिस जवानों द्वारा दिया जा रहा है। धमकियों में जिला बीजापुर के बुजी आंदोलनकारियों के साथ जो पुलिस ने बर्बरता किया है उसी का उदाहरण देकर अन्य जगह चल रहे आंदोलकारियों को धमकाया जा रहा है। हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि
- आन्दोलनकर्ताओं की भांग अनुसार सरकार व प्रशासन उनसे चर्चा करके लोकतांत्रिक तरीक से हल ढूंढे
- जबरन दमनकारी तरीके से लगाए गए पुलिस व सुरक्षा कैंप हटाए जाए
- जिन लोगों को पुलिसी हिंसा के कारण चोटें लगी हैं उनको तुरंत स्वास्थ सेवाएं व इलाज प्रदान किया जाए। -सिलगेर में पुलिस कैंप लगाई जाने केलिए जो जमीन लिया गया है उसके मुवावजा और आंदोलन के बाद मारे गए
ग्रामीण की जांच के लिए जो कमिटी गठित की गई है उसके रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए
- वर्तमान में बुर्जी व अन्य धरनास्थलों में बड़े तैनात में मौजूद पुलिस व सुरक्षाबल को तुरंत हटाया जाए – सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के आने जाने पर रोक व रुकावटे बंद करके उनको अपने लोकतांत्रिक हक से
बस्तर के सभी इलाकों में जाने की स्वतंत्रता रहे
-जगह जगह के आन्दोलनकर्ताओं व अन्य ग्रामीणों पर अपना लोकतात्रिक विरोध जताने के कारण जो फर्जी केस में – फसाया गया है उन सब पर लगे फर्जी केस तुरंत वापिस लिया जाए
मूलवासी बचाओ मंच बस्तर संभाग एवं पीपल्स युनियन फार सिविल लिबर्टीज (PUCL) छत्तीसगढ़