जोशीमठ के बाद अब कर्णप्रयाग शहर खतरे की जद में आ गया है. पिछले दिनों यहां कुछ मकानों में आई दरारों के बाद अब प्रशासन ने एहतियात के तौर पर आठ मकानों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है. प्रशासन के नोटिस के बाद प्रभावित लोग परेशान हैं. कर्णप्रयाग में भी दहशत का माहौल है. उपजिलाधिकारी चमोली की ओर से जारी इस नोटिस में कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर के आठ मकानों को खाली करने का नोटिस जारी किया गया है. पिछले दिनों कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर के कई मकानों में दरारें देखी गई थी. प्रशासन का कहना है कि अहतियात और भविष्य में किसी बड़े खतरे को देखते हुए आठ भवनों को खाली करने का नोटिस दिया गया है. प्रशासन और कर्णप्रयाग नगर पालिका के अधिकारी यथास्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
बहुगुणा नगर 100 में से आधेमकानों में दरारें
जोशीमठ से करीब 80 किलोमीटर दूर बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर महाभारत में वर्णित कर्ण की तपस्थली के लिए विख्यात कर्णप्रयाग का बहुगुणा नगर और अपर बाजार का इलाका भी पिछले कई सालों से जमीन धंसने की समस्या की चपेट में है. बहुगुणा नगर में बने लगभग 100 मकानों में से आधे मकानों में दरारें हैं. वर्ष 2013 के आसपास शुरू हुई जमीन धंसने की घटनाओं और दरारों के लिए स्थानीय लोग अनियोजित विकास को जिम्मेदार मान रहे हैं, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण, मंडी परिषद की संरचनाओं के निर्माण के दौरान सावधानी न बरतना, बरसाती पानी की निकासी को व्यवस्थित न करना तथा पिंडर नदी का कटाव शामिल है.
ये हैं बढ़ते खतरें के कारण
कर्णप्रयाग नगरपालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुभाष गैरोला ने बताया कि 2015 में भारी बारिश के चलते बहुगुणा नगर की ऊपर की पहाड़ी से भूस्खलन हुआ था जिसके मलबे से इस इलाके में नुकसान की शुरुआत हुई. उन्होंने बताया कि उस दौरान नगरपालिका की ओर से स्थिति सुधारने के प्रयास किए गए थे जिसके बाद वह कई सालों तक ठीक भी रहा. हालांकि, इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण, कर्ण प्रयाग-कनखूल सड़क की नाली न बनने और जल निकासी की सही व्यवस्था न होने से ऊपरी भाग में स्थित मकान भूधंसाव की चपेट में आ गए हैं और जमीन असुरक्षित होती जा रही है.