इस वक्त छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारे में एक बार फिर से जय-वीरू की जोड़ी की चर्चा की जा रही है। कांग्रेस के ये जय-वीरू पार्टी को 15 साल बाद प्रदेश सत्ता में दमदार वापसी कराने वाले मुख्य किरदार भी रहे हैं। विपक्ष ने इस जोड़ी के साथ आने पर फौरन कटाक्ष किया। कहा है ये महज छलावा है, दिखावा है तो कांग्रेस ने भी पुरजोर तरीके से इसका जवाब दिया। दरअसल, भानूप्रतापुर के चुनावी दौरे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टी एस सिंहदेव का साथ-साथ आना, भाजपा को रास नहीं आ रहा है। सवाल ये कि क्या इस जोड़ी के साथ आने को लेकर भाजपा भयभीत है, जोड़ी को लेकर विपक्ष के सवालों में कितना दम है?
छत्तीसगढ़ की राजनीति के जय-वीरू एक बार फिर साथ नजर आए। भानुप्रतापुर में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए दोनों कद्दावर नेता एक साथ हेलिकॉप्टर में सवार होकर रायपुर से भानुप्रतापपुर गए और फिर मंच से एक ही सुर में सावित्री मंडावी के लिए वोट की अपील करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।
दरअसल भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की साख दांव पर है। दुष्कर्म मामले में ब्रह्मानंद नेताम का नाम सामने आने के बाद बीजेपी बैकफुट पर है मगर जानकार बताते हैं कि टक्कर अभी भी बराबरी का है। ऐसे में जब 2018 में कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता में लाने वाली जय-वीरू की जोड़ी भानुप्रतापपुर उपचुनाव के मैदान में एक्शन में आई तो, बीजेपी की तरफ से बयानों की झ़ड़ी लग गई।
बीजेपी नेताओं नें तंज कसा कि दोनों नेता मजबूरी में साथ में दिख रहे हैं। ये केवल जनता को भ्रम में डालने की कोशिश कर रहे हैं। जिसपर सीएम ने भी जवाबी पलटवार किया। इससे पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी दोनों दिग्गज नेता खरगोन जिले के उमरिया चौकी से इंदौर के बलवाड़ा तक राहुल गांधी के साथ-साथ चले थे। लेकिन भानुप्रतापपुर उपचुनाव के दंगल में जिस तरह भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की तालमेल दिखी, उससे सूबे के सियासी गलियारे में हलचल जरूर मचेगा।