वंदे भारत ट्रेन ज़रूर सौगात लेकिन भारी किराये के साथ कुछ कमियां भी बड़ी…

वंदे भारत ट्रेन ज़रूर सौगात लेकिन भारी किराये के साथ कुछ कमियां भी बड़ी…

आसिफ़ इक़बाल की कलम से …

वंदे भारत ट्रेन अत्याधुनिक डिज़ाइन तकनीक व साज-सज्जा के साथ जरूर छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र राज्य के बीच नई सौगात है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर से हरी झंडी दिखाकर परिचालन सुगम किया। पहले शुरुआती दिन मे वंदे भारत का स्वागत करने 22 स्टापेज बिलासपुर तक रखे गए जबकि वास्तव में, देश की छठवीं वंदेभारत ट्रेन का बिलासपुर से नागपुर सहित रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव व गोंदिया ही स्टॉपेज तय किए गए है। वंदेभारत ट्रेन के परिचालन में 22 स्टॉपेजो पर कुछ सियासी भोंपू भी बज गया और हमर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल तथा राज्य से एकमात्र केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्रैन के उद्‌घाटन मौके पर इन्हे आमंत्रण नहीं दिया गया, इसकी जमकर सियासी चर्चा है। यदि इन्हें भी बुलाया जाता तो वंदेभारत ट्रेन के स्वागत में आत्मीयता बढ़ जाती क्योंकि यह ट्रेन दो राज्यों के बीच सेतु है और इसमें प्रगाढ़ता आ जाती। वंदे भारत ट्रेन हर हाल में सौगात है और किराया अधिकतम होने के कारण यह ‘खास’ ट्रेन आमजनों के लिए ‘आम’ नहीं हो पाई। यह ट्रेन अन्य ट्रेनों की तुलना में 130 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड के बावजूद सिर्फ 50 मिनट और ज्यादा लेगी, यद्यपि तमाम सुविधाएँ अत्याधुनिक हैं। वंदेभारत ट्रेन के परिचालन-डेमो का मुआयना व लोगों से बातचीत कर पाया कि सभी नई सौगात को पाकर खुशी जाहिर कर रहे हैं लेकिन रेल सलाहकार समिति की सदस्य डॉ. श्यामा कुर्रे कहती हैं कि ट्रेन में महिलाओं के लिए फूट स्टेप का चौड़ीकरण जरूरी है वहीं रेल अफसर इंदर भोई का मानना है कि वंदेभारत का अभी परिचालन शुरू हुआ है आगे इसकी कमियों को भविष्य में जरूर सुधारा जा सकता है। अधिकांश यात्रियों ने वंदेभारत ट्रेन का किराया अधिक होने पर नाराजगी जाहिर की है और रेल मंत्रालय व मंत्री अश्वनी वैष्णव से किराये में कमी करने की मांग की है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के निर्णय के मुताबिक, रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों व पत्रकारों को मिलने वाली रियायतें दीर्घकाल से बंद कर रखा है। इन रियायतों को फिर से आरंभ करने की जरुरत महसूस की जा रही है। वंदेभारत ट्रेन की सौगात का ऊपरी तौर पर स्वागत तो कर ही रहे हैं लेकिन सुविधा आम हो जाए तो वंदे भारत ‘खास’ हो जाएगी।

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