रायपुर। सौम्य चौरसिया की गिरफ्तारी ने नया पन्ना खोल दिया है। देश की राजनीति में दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ तक खलबली मचा देने वाली केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापेमारी पर पहले भी कई दफा टकराव हुआ है।
अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा राजनीतिक कार्रवाई हम ताकत से लड़ेंगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी उपसचिव सौम्य चौरसिया के खिलाफ उठी की कार्रवाई और गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए हैं।
अफसरों को मुर्गा बनाकर पीटने की उन्होंने पहले ही शिकायतों का हवाला देकर इन एजेंसियों को पुलिस कार्रवाई की चेतावनी देकर नया पन्ना खोल दिया था। मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय एजेंसियों को दी गई चेतावनी को भाजपा धमकी ही मानेगी तो वह उनसे पूछ रही है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई पर आपको क्यों तकलीफ हो रही है?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय एजेंसियों की कार्यशैली को रिमोट संचालित अनुभव कर सकते हैं तो भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर भी स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा कभी ऐसा नहीं करती। वे यह भी याद दिला चुके हैं कि नरेंद्र मोदी से गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए किस तरह पूछताछ कराई गई थी और अमित शाह को गिरफ्तार कराया गया था।
इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निशाने पर ईडी है तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सीडी को लेकर भूपेश बघेल पर निशाना साधते रहते हैं। वे ईडी के छापे और सीडी मामले को लेकर कटाक्ष करते रहते हैं तो भूपेश बघेल भी चिटफंड और नान मामले में रमन परिवार को घेरते हैं। वे इन घोटालों की ईडी जांच की मांग करते हैं और ईडी की कार्यशैली पर नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं।
उन्होंने पहले भी चेतावनी दी थी और अब तो काफी खुले अंदाज में कह रहे हैं कि विधिक तरीके से होने वाली जांच को पूरा सहयोग मिलेगा लेकिन जैसी शिकायत मिल रही हैं, आगे भी मिलीं तो इन एजेंसियों के अफसरों पर विधिक कार्यवाही की जाएगी।
मुख्यमंत्री के पास ऐसी शिकायतें पहुंच रही हैं कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की टीम कारोबारियों और अफसरों को प्रताड़ित कर रही हैं। इन शिकायतों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर की है और भाजपा इस पर उन्हें घेरते हुए पलटवार कर रही है। उसका कहना है कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों के वकील बनकर ईडी को धमका रहे हैं।
वे कानून को अपना काम करने से क्यों रोक रहे हैं। भाजपा विधायक सौरभ सिंह कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले अफसरों और चुनिंदा कारोबारियों के यहां छापे में बेहिसाब संपत्ति और भ्रष्टाचार के प्रमाण मिल रहे हैं तो ईडी की कार्रवाई से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिक्कत क्यों हो रही है? एक तरफ वे नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं से पूछताछ के विरोध में रायपुर से लेकर दिल्ली तक ड्रामेबाजी करते हैं। दूसरी तरफ वे चिटफंड और नान मामले की ईडी जांच के लिए अनुरोध करते हैं। चिट्ठी लिखते हैं। तीसरी तरफ वे नान घोटाले के आरोपी अफसरों के बचाव में नामी वकील लगाते हैं। उनकी पुलिस चिटफंड घोटाले की जांच तक नहीं कर पाई और चौथी तरफ वे भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने वाली ईडी को धमकी दे रहे हैं। उन्हें अपने पद की मर्यादा का जरा सा भी ख्याल नहीं है। वे जिस प्रकार से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के संरक्षक का आचरण दिखा रहे हैं, वह कई संदेहों को जन्म दे रहा है। बेहतर होगा कि भूपेश बघेल कानून को अपना काम करने दें।
उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ की जनता समझ रही है कि जब दलालों पर गाज गिरी है तो बौखलाहट सामने आ रही है। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा मानती है कि जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसे संरक्षण प्राप्त है। जिन लोगों के यहां से बेहिसाब संपत्ति और रकम का पता चला है, उनके लिए हमदर्दी दिखाई जा रही है और केंद्रीय एजेंसियों के काम में खलल पैदा किया जा रहा है।
जबकि कांग्रेस का साफ आरोप है कि भाजपा अपने विरोधियों के विरुद्ध इन एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। राजनीतिक आरोप अपनी जगह हैं लेकिन जो माल इस छापेमारी में निकल रहा है, उसकी अनदेखी कैसे की जाए? यदि पूछताछ में किसी को प्रताड़ित किया जा रहा है तो वह अपना पक्ष अदालत में रख सकता है। इसके लिए सरकार के स्तर पर संरक्षण की बात सामने आयेगी तो राजनीतिक टकराव ही बढ़ेगा। क्या छत्तीसगढ़ में पश्चिम बंगाल जैसे टकराव की स्थिति पैदा होने वाली है, जहां केंद्रीय टीम को असहज परिस्थितियों से गुजरना पड़ चुका है। वैसे यह टकराव ठीक नहीं। बेहतर होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ विधिवत कार्यवाही की जाने दी जाए और किसी तरह के सियासी दखल की गुंजाइश न हो।