मार्च, 2022 को समाप्त पांच वर्षों के दौरान इन बट्टे खातों में से केवल 14 फीसदी की ही वसूली हो पाई थी। इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए। इसमें से सरकारी बैंकों ने 1.03 लाख करोड़ रुपये की वसूली की। सूत्रों ने कहा कि ऐसा लगता है कि बैंक फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालने के बाद उनकी वसूली को लेकर कोई प्रयास नहीं करते हैं और वे उसी वसूली से संतुष्ट हो जाते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।
बट्टे खाते में डाले गए खातों से अगर वसूली ज्यादा की जाए तो इससे बैंकों के मुनाफे में इजाफा होता है और उनकी पूंजी में सुधार होता है। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर स्थिति की समीक्षा करने के लिए वित्तीय सेवा विभाग जल्द ही सरकारी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। बैलेंसशीट से एनपीए को हटाने से सभी 12 सरकारी बैंक पिछले दो साल से फायदे में हैं।
11.17 लाख करोड़ पड़े हैं बट्टे खाते में
प्रस्तावित बैठक डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल और डेट रिकवरी अपीलेट सहित विभिन्न अदालतों में ऐसे खातों के संबंध में लंबित मामलों का जायजा लेगी। बट्टे खाते में डाले गए बड़े खातों के संबंध में बैंकों को अधिक सक्रिय होने का निर्देश दिया गया है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों (वित्त वर्ष 2021-22) में बैंकों ने 11.17 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाला है। इसमें सरकारी बैंकों का हिस्सा 8.16 लाख करोड़ और निजी बैंकों का हिस्सा 3.01 लाख करोड़ है।