असदुद्दीन ओवैसी को जानकारी नहीं है. मैंने उस वक़्त भी पुलवामा का मामला पीएम के सामने उठाया था और कहा था कि हमारे लोगों की ग़लती से ये हुआ है. मैं चाहता था कि इस पर जाँच हो और मुझे लगा था कि इस पर जाँच करेंगे. इसलिए उस वक़्त मेरे इस्तीफ़ा देने का कोई कारण नहीं था.”
ये कहना है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक निजी चैनल के इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पुलवामा मामले में ज़िम्मेदारी गृह मंत्रालय की थी.
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने उनके सामने सब बातें रख दी थी, तो गृहमंत्री को कुछ करना चाहिए था. इस्तीफ़ा तो उन्हें देना चाहिए था जो ज़िम्मेदार थे.
पिछले दिनों सत्यपाल मलिक ने जाने-माने पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में 2019 के पुलवामा हमले के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार बताते हुए कई सनसनीखेज़ दावे किए थे.
क्या भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ देश में कोई और चेहरा उन्हें नज़र आता है?
उन्होंने कहा कि एक नहीं, कई लोग बचे हुए हैं. जैसे नीतीश कुमार.
लेकिन बिहार में बहुत वक़्त से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं और गवर्नर रहते हुए सत्यपाल मलिक कह रहे थे कि बिहार का एजुकेशन सिस्टम भ्रष्ट है, तो फिर वे कैसे कह सकते हैं कि नीतीश कुमार की एक साफ़-सुथरी छवि है?
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ‘फिर भी, तुलना में दूसरे लोगों से बेहतर हैं.’
अरविंद केजरीवाल भी बड़ी प्रमुखता से उनके उठाए सवालों को अपना मुद्दा बना रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल भी तुलनात्मक रूप से बेहतर हैं.
लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप तो उनकी सरकार पर भी लग रहे हैं.
जवाब में वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि उन्हें इलेक्शन से पहले गिरफ्तार करेंगे. सौ प्रतिशत.”
तो क्या अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के सामने एक चेहरा हो सकते हैं?
सत्यपाल मलिक कहते हैं, “मोदी जी के सामने का चेहरा किसी को नहीं कह रहा हूँ. मोदी जी के ख़िलाफ़ जनता चेहरा बने. जनता वर्सेज़ मोदी चुनाव होना चाहिए.”