Rajasthan (राजस्थान )में जनसंपर्क रैली के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास एक नहीं बल्कि दो बड़ी वजह हैं. पहली इस वर्ष Rajasthan के विधानसभा चुनाव होना है वहीं दूसरी वजह अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में राजस्थान के रण से ज्यादा से ज्यादा सीटों को बंटोरना. अब समझते हैं आखिर यहां से पीएम मोदी को क्या फायदा होगा.
- विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पटखनी
पीएम मोदी की Rajasthan राजस्थान में जनसंपर्क रैली की शुरुआत का मकसद प्रदेश में बीजेपी के लिए जमीन को मजबूत करना है. वैसे भी Rajasthan राजस्थान में अल्टरनेट यानी हर बार सरकार बदलने का ट्रेंड है. इस लिहाज से तो बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है. लेकिन एक और वजह भी है और वो है कांग्रेस में चल रहा अंदरुनी कलह. सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में बीजेपी और खास तौर पर पीएम मोदी के लिए ये वक्त सबसे मुफीद है ताकि वे Rajasthan राजस्थान में कांग्रेस को लेकर उठे तूफान का फायदा उठा सकें और विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को मजबूती के साथ सुनिश्चित कर सकें. - कर्नाटक की हार का बदला
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, जिसे कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ हासिल कर लिया है. लिहाजा बीजेपी और पीएम मोदी चाहेंगे कि कांग्रेस के किले में सेंध लगाकर कर्नाटक की शिकस्त का बदला ले सकें. ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे सॉफ्ट टारगेट राजस्थान ही है. कांग्रेस के दो किलों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में से Rajasthanराजस्थान को ढहाना बीजेपी के लिए ज्यादा आसान लग रहा है.
3.लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर नजर
Rajasthan राजस्थान और अजमेर को चुनकर बीजेपी और पीएम मोदी ने ना सिर्फ विधानसभा बल्कि लोकसभा चुनाव की ज्यादा सीटों पर नजरें गढ़ाई हैं. अकेले अजमेर के आस-पास लोकसभा की 8 सीट आती हैं. इन सीटों को बीजेपी अपने कब्जे ले ले तो स्थिति मजबूत हो जाएगी जबकि कांग्रेस कमजोर. इन्हीं 8 लोकसभा सीटों में करीब 64 विधानसभा सीट भी हैं. इनमें से फिलहाल बीजेपी के पास 20 सीट है जबकि उसका टारगेट 45 सीटों पर कब्जा जमाना है. इसके लिए 25 और सीटें हासिल करने के लिए बीजेपी के पास पीएम मोदी से बड़ा कोई हथियार हो ही नहीं सकता.
4.इन समुदायों पर है सीधा फोकस
राजस्थान Rajasthan के रण को हथियाना है तो जाट और मुस्लिम समुदाय में पकड़ होना बहुत जरूरी है. इन्हीं समुदायों में कमजोर पकड़ के चलते बीजेपी को बार-बार हार का मुंह देखना पड़ता है. इस बार बीजेपी ऐसी कोई गलती करने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि बीते 8 महीनों में पीएम मोदी ने राजस्थान के इन समुदाय बहुल इलाकों में 6 दौरे किए हैं. इस बार भी अजमेर को चुनकर इन्हीं दो समुदायों को साधने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि सचिन पायलट खुद जाट समुदाय से आते हैं और वो कांग्रेस में एक बागी तेवरों के साथ इन दिनों आगे बढ़ रहे हैं.