ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है.
वही सीबीआई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा था.
सीबीआई पर पहले भी राजनीतिक मशीनरी बनने के आरोप लगते रहे हैं.
आज भी विपक्षी दल सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं
दूसरी तरफ़ रेलवे में होने वाले हादसों की जांच आमतौर पर कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सेफ़्टी करते हैं.
कई बार सीआरएस के अलावा हादसों की जांच रेलवे की अपनी टीम भी करती है.
दरअसल, रेलवे की तकनीकी और विस्तृत जानकारी रेल विभाग के लोगों को ही होती है, इसलिए इस तरह की जांच को ज़रूरी माना जाता है.
सीआरएस मूल रूप से रेलवे के ही अधिकारी होते हैं और उन्हें डेप्युटेशन पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन रखा जाता है.
बताया जाता है कि हादसे की निष्पक्ष जांच के लिए मामला सीआएस को सौंपा जाता है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा था कि ओडिशा हादसे की जड़ में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में समस्या और ट्रैक के एक हिस्से में ऑपरेशनल सिग्नल सिस्टम में समस्या सामने आई है.
इसके साथ ही यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.