रायपुर विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक रविवार को रायपुर में संपन्न हुई। बैठक के बारे में बताते हुए विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने बताया कि इसमें हिंदू परिवार व्यवस्था पर हो रहे चहुं तरफा प्रहारों तथा बढ़ती लव जिहाद व धर्मांतरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए एक व्यापक कार्य योजना बनी। इसके अंतर्गत बजरंग दल आगामी 30 सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच देशव्यापी शौर्य जागरण यात्राएं निकालेगा। इन यात्राओं के माध्यम से देश के हर कोने में रहने वाले हिंदुओं को संगठित कर उन्हें इन समस्याओं से निपटने में सक्षम बनाया जाएगा। दीपावली के आस- पास पूज्य संतों के देश व्यापी प्रवासों के मध्यम से जन-जन तक पहुंच बढ़ा कर व्यक्तियों को परिवारों से और परिवारों को सामाजिक व राष्ट्रीय जीवन मूल्यों से जोड़ा जाएगा।
हिंदू परिवार व्यवस्था पर बैठक में पारित प्रस्ताव की प्रति मीडिया को जारी करते हुए विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि गत कुछ दशकों में हमारी सुदृढ़ परिवार व्यवस्था पर मनोरंजन जगत, वामपंथी शिक्षाविदों व न्यायालयों के कुछ निर्णयों तथा भौतिकता वादी व भोगवादी मानसिकता ने गहरे आघात किए हैं। इनके कारण व्यक्ति को परिवार, कुटुंब, समाज व राष्ट्र से जोड़ते हुए विश्व के कल्याण की कामना तक ले जाने वाली यह अनुपम व्यवस्था विखंडन की ओर बढ़ रही है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि बच्चों में संस्कारों का आभाव, युवा पीढ़ी की स्वच्छंदता और वृद्धों की दुरावस्था के मूल में परिवार व्यवस्था का क्षरण है। विहिप ने सभी सरकारों से अनुरोध किया है कि शिक्षा नीति बनाने से लेकर परिवार सम्बन्धी कानूनों का निर्माण करते समय इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अपना रचनात्मक योगदान दें। सेंसर बोर्ड व सरकार से आग्रह किया गया है कि वे इस सम्बन्ध में अपने दायित्यों का निर्वहन “सजगता और संवेदनशीलता के साथ करें। प्रस्ताव में न्यायपालिका से भी अपेक्षा की गयी है कि वह अपने निर्णयों में इसका ध्यान रखें। हिन्दू परिवारों से भी यह कहा गया है कि एकल परिवारों में रहने को बाध्य व्यक्तियों को भी नियमित अंतराल पर अपने मूल परिवार से संपर्क, पूर्वजों के स्थानों से जुड़ाव, पारिवारिक सहभोज कुटुंब एकत्रीकरण, सामूहिक भजन, दान, सेवा कार्य, उत्सवों, तीर्थाटन, मातृभाषा का प्रयोग, स्वदेशी का आग्रह इत्यादि पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि त्याग, संयम, प्रेम, आत्मीयता, सहयोग व परस्पर पूरकता व संस्कारयुक्त जीवन ही सुखी परिवार की आधारशिला है। सम्पूर्ण समाज व विशेषकर युवा पीढ़ी से आह्वान किया है कि इस अनमोल व्यवस्था को अधिकाधिक सजीव, प्राणवान, संस्कारक्षम बनाये रखने हेतु आवश्यक कदम उठायें।
बजरंग दल की शौर्य जागरण यात्राएं देश भर में ब्लॉक स्तर पर निकलकर युवा पीढ़ी को विशेष रूप से जोड़ा जायेगा। विहिप अपने बाल संस्कार केंद्रों के विस्तार के साथ गीता / रामायण आदि की परीक्षाएं भी आयोजित करेगी। बैठक में विदेशों से पधारे प्रतिनिधियों सहित देशभर से 44 प्रांतों के कुल 237 पदाधिकारी उपस्थित थे।
प्रस्ताव 2
को परिवार, कुटुम्ब, समाज और राष्ट्र से जोड़ते हुए विश्व के कल्याण की कामना तक ले जाती है। परिवार व्यवस्था सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और आर्थिक विकास का आधार है। हिन्दू समाज के अमरत्व का मुख्य कारण इसका बहुकेन्द्रित होना है एवं परिवार व्यवस्था इसमें से एक सशक्त एवं महत्वपूर्ण केन्द्र है। विश्व हिन्दू परिषद का यह अभिमत है कि हिन्दू परिवार व्यवस्था को अव्यवस्थित और
विखण्डित करने के लिए विविध भारत विरोधी शक्तियों के द्वारा वैश्विक षडयन्त्र किए जा रहे हैं।
परिवार व्यवस्था पर सबसे बड़ा आक्रमण मनोरंजन जगत की और से होता हुआ दिखाई दे रहा है। चलचित्र, वेब सीरीज, विभिन्न धारावाहिकों आदि के माध्यम से स्वेच्छाचारिता को महिमामण्डित किया जा रहा है तथा परिवार व्यवस्था को उपहास का पात्र बनाया जा रहा है। औद्योगिक जगत भी अपने विज्ञापनों में हमारी संस्कृति, संस्कार और परम्पराओं को अपमानित कर समाज को उनकी मूल जड़ों और संस्कृति से काटने का षडयन्त्र कर रहा है। वे संयमित जीवन की जगह असीमित उपभोग को प्रोत्साहन देते हुए दिखाई दे रहे हैं। भोगवादी मनोवृत्ति और आत्मकेन्द्रितता का बढ़ता प्रभाव पारिवारिक विखण्डन का प्रमुख कारण है। भौतिक चिंतन के कारण समाज में आत्मकेन्द्रित व कटुतापूर्ण व्यववहार असीमित भोगवृत्ति, मानसिक तनाव, संबंधविच्छेद, विवाहेत्तर संबंध आदि बुराइयां बढ़ती जा रही हैं। परिणामस्वरूप नशाखोरी, जघन्य अपराध तथा आत्महत्याएँ बढ़ी हैं जो परिवार व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देती हैं। समाज के संरक्षण में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं परन्तु लिव-इन रिलेशनशिप, विवाहेत्तर संबंधों, समलैंगिक संबंधों इत्यादि के बारे में न्यायपालिका के पिछले दिनों आए कई निर्णय तथा समलैंगिक विवाह के सम्बन्ध में दिखाई गयी अतिसक्रियता परिवार व्यवस्था को तोड़ने वाली सिद्ध हो सकती है।
समाज और परिवार को सुदृढ बनाने में शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होता है। दुर्भाग्य से हिन्दू समाज की जड़ों पर आघात करने वाले विचारों से प्रेरित शिक्षाविदों ने ऐसे पाठ्यक्रमों का निर्माण किया जिससे संपूर्ण युवा पीढ़ी अपने मूल संस्कार और जड़ों से कट जाए। इसके परिणामस्वरूप युवाओं में एकाकीपन एवं कुण्ठा बढ़ती जा रही है और वे परिवार से कटते जा रहे हैं। परिवार विखण्डन की ओर बढ़ रहे हैं।
इन सबके कारणों से ऐसा वातावरण बना जिसमें परिवार की आवश्यकता को केवल भौतिक सुखों तक सीमित कर दिया है, इसके कारण वृद्धों के प्रति दायित्वबोध खत्म हो गया और बच्चों को जन्म देना एक बोझ बन गया। परिवार के संस्कार एवं उनकी परम्पराओं का निरंतर प्रवाह अवरुद्ध हो गया है और परिवार व्यवस्था समाप्ति की ओर दिखाई देने लगी।
विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति का यह सुविचारित मत है कि बच्चों को मिलने वाले संस्कारों का अभाव, युवा पीढ़ी की स्वछन्दता और वृद्धों की दुरावस्था के मूल में परिवार व्यवस्था का
क्षरण है। अपनी परिवार व्यवस्था को जीवत तथा संस्कारक्षम बनाए रखने हेतु आज व्यापक एवं महती प्रयासों की आवश्यकता है। हम अपने दैनंदिन व्यवहार व आचरण से यह सुनिश्चित करें कि हमारा परिवार जीवनमूल्यों को पुष्ट करने वाला, संस्कारित व परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने वाला हो । सपरिवार सामूहिक भोजन, भजन, उत्सवों व आयोजन तीर्थाटन, मातृभाषा का उपयोग स्वदेशी का आग्रह, पारिवारिक व सामाजिक परम्पराओं के संवर्धन व संरक्षण से परिवार सुखी व आनंदित होंगे। परिवार व समाज परस्पर पूरक है। समाज के प्रति दायित्वबोध निर्माण करने के लिए सामाजिक, धार्मिक व शैक्षणिक कार्यों हेतु दान देने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों के यथासंभव सहयोग के लिए तत्पर रहना हमारे परिवार का स्वभाव बनना चाहिए।
समाज निर्माण की दिशा में पूज्य साधु-संतों एवं धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक, वैचारिक संस्थाओं की सदैव महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। परिषद इन सबसे अनुरोध करती है कि वे परिस्थिति की गंभीरता को समझकर परिवार संस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करें। मनोरंजन जगत से जुड़े सभी पक्षों से यह आग्रह है कि वे समाज और परिवार को सुदृढ़ बनाने का सकारात्मक संदेश देने वाले चलचित्र एवं विविध कार्यक्रमों का निर्माण करें। वे मानव की निम्नतम प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन देने की जगह चारित्रिक विकास एवं दायित्वबोध निर्माण करने वाले कार्यक्रमों का निर्माण करें। इस सम्बन्ध में सेंसर बोर्ड एवं सरकारों को अपना दायित्व अधिक सतर्कता संवेदनशीलता के साथ निर्वहन करना चाहिए। विहिप सभी सरकारों से अनुरोध करती है कि शिक्षा नीति बनाने से लेकर परिवार संबंधी कानूनों का निर्माण करते समय परिवार व्यवस्था को सुदृद्ध बनाने में अपना रचनात्मक योगदान दें। विश्व हिन्दू परिषद न्यायपालिका से भी अपेक्षा करती है कि वे परिवार से जुड़ी हुई व्यवस्था के संबंध में निर्णय देते समय परिवार और समाज को सुदृढ़ बनाने के अपने संवैधानिक दायित्व का अवश्य ध्यान रखें।
परिस्थतिजन्य विवशताओं के कारण एकल परिवार में रहने के लिए बाध्य हो रहे व्यक्ति भी अपने मूल परिवार के साथ सजीव संपर्क रखते हुए नियमित अन्तराल पर कुछ समय सामूहिक रूप से अवश्य बिताएं अपने पूर्वजों के स्थान से जुड़ाव रखना, अपनी जड़ों के साथ जुड़ने के समान है। इसलिए वहां विभिन्न गतिविधियां जैसे परिवार सहित एकत्रित होना, सेवा कार्य करना आदि आयोजित करने चाहिए। बालकों में पारिवारिक एवं सामाजिक जुड़ाव निर्माण करने के लिए उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय परिवेश में रह कर ही कराई जानी चाहिए। अपने निवास क्षेत्र में सामूहिक उत्सवों एवं कार्यक्रमों के द्वारा वृहद् परिवार का भाव निर्मित किया जा सकता है। बालकिशोरों के संतुलित विकास हेतु बाल संस्कार केन्द्र व संस्कारशाला आदि कार्यक्रम करना भी उपयोगी रहेगा। त्याग, संयम, प्रेम, आत्मीयता, सहयोग व परस्पर पूरकता से युक्त जीवन ही सुखी परिवार की आधारशिला है। इन विशेषताओं से युक्त परिवार ही सभी घटकों के सुखी जीवन को सुनिश्चित करेगा।
विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति समस्त समाज विशेषकर युवा पीढी का आह्वान करती है कि अपनी इस अनमोल परिवार व्यवस्था को अधिक से अधिक सजीव प्राणवान, संस्कारक्षम बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए।