छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान बस्तर के आदिवासी नेता को:सांसद दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम हटाए गए, मंत्री बनाया जाएगा

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान बस्तर के आदिवासी नेता को:सांसद दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम हटाए गए, मंत्री बनाया जाएगा

बस्तर सांसद तथा दो बार विधायक रह चुके दीपक बैज को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का नया मुखिया बना दिया गया है। बुधवार देर शाम पार्टी आलाकमान ने बैज के नाम पर मुहर लगाई। वे वर्तमान अध्यक्ष मोहन मरकाम की जगह लेंगे। बताया गया है कि बैज का नाम मार्च में ही तय कर लिया गया था लेकिन पार्टी-संगठन की कई बड़ी गतिविधियों के कारण उनकी नियुक्ति का मामला टलता रहा। इधर, यह भी लगभग तय है कि अध्यक्ष पद से हटाए गए मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री बनाया जाएगा।

मरकाम को मार्च में ही हटाए जाने की चर्चाएं तेज थीं और सीएम भूपेश बघेल से कथित अनबन को इसकी वजह बताया जा रहा था। तभी पार्टी आलाकमान ने दीपक बैज को दिल्ली भी बुलवाया था। उसके बाद यह स्पष्ट हो गया था कि मरकाम का जाना तय है और दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे। लेकिन उसके बाद पार्टी संगठन के कई बड़े कार्यक्रम हुए। इस वजह से पीसीसी चीफ का मुद्दा ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा था। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के बड़े कांग्रेस नेताआें की बैठक लेकर डिप्टी सीएम का नया फार्मूला तय किया। तब यह चर्चा चली थी कि मरकाम को हटाए जाने के बदले में ही सीएम भूपेश ने सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने पर हामी भरी है। बुधवार को रायपुर में हुए मौन सत्याग्रह के बाद देर शाम पार्टी आलाकमान ने आखिरकार मरकाम को हटाए जाने और दीपक बैज को नया अध्यक्ष बनाए जाने की चिट्‌ठी जारी कर दी।

4 साल अध्यक्ष रहे मरकाम
दरअसल साल तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में एकतरफा बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव तक भूपेश के हाथों पार्टी की कमान थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद 28 जून 2019 को मोहन मरकाम को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। शुरू के दो साल तक सब कुछ ठीक चला, पर पिछले एक-डेढ़ साल से गाहेबगाहे सीएम भूपेश आैर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के बीच मतभेद की भी खबरें आती रहीं।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए बदलाव के कारण

बैज को इसलिए कमान

चित्रकोट से दो बार विधायक आैर वर्तमान बस्तर सांसद दीपक बैज आदिवासी चेहरा है। राहुल गांधी के पसंदीदा नेताओं में जाने जाते हैं।
बैज को सीएम भूपेश का करीबी भी माना जाता है। प्रदेश कांग्रेस के नए मुखिया के तौर पर भूपेश ने ही बैज का नाम दिल्ली में आगे किया।
मरकाम बस्तर में कोंडागांव से हैं। उन्हें हटाकर बस्तर के ही आदिवासी नेता को अध्यक्ष बनाने पर सहमति थी। इसलिए बैज को चुना गया।

मरकाम इसलिए गए

कुछ अरसा पहले से संगठन में नई नियुक्तियों को लेकर सीएम भूपेश की नाराजगी की बातें अा रही थीं, क्योंकि उनकी राय नहीं ली गई थी।

कांग्रेस का एक तबका मरकाम से नाराज हो गया था क्योंकि पिछले चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वालों को पद दिया गया।

निगम-मंडल में नियुक्तियाें पर मरकाम नाराज थे। इस तरह की घटनाओं से प्रदेश कांग्रेस में सत्ता और संगठन के बीच दूरियां बढ़ गई थीं।

बस्तर को साधने की कोशिश
बस्तर में 12 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटें जीती थीं। लेकिन दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक की नक्सलियों द्वारा की गई हत्या के बाद उपचुनाव हुआ और यह सीट भी कांग्रेस ने जीती। यानी बस्तर की सभी सीटें अब कांग्रेस के पास हैं। कांग्रेस के एक धड़े का मानना था कि अगर मरकाम को हटाया गया, तो बस्तर के ही आदिवासी चेहरे का चयन करना होगा, अन्यथा वहां नुकसान की आशंका होती।
ऐसे में बस्तर को साधने के लिए विवादों से दूर, साफ छवि वाले युवा दीपक बैज को चुना गया।.

संदेश यही है- छत्तीसगढ़ में राजस्थान व पंजाब जैसे हालात नहीं बनने दिए जाएंगे

अंतत: मोहन मरकाम पीसीसी चीफ के पद से हटा दिए गए। मार्च में इसकी चर्चा जोरों पर थी कि मरकाम को हटाया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर लौटे थे, उसके बाद से ऐसी चर्चा थी कि मरकाम का जाना तय है।

दरअसल, मरकाम की गतिविधियों से ऐसा संदेश जाने लगा था कि वे सत्ता के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं और वे अपनी राह अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह में रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद भी ऐसी ही बातें चर्चा में आ गई थीं कि मरकाम के कामकाज में समन्वय का अभाव है। अलबत्ता मुख्यमंत्री की टीम ने अधिवेशन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। खैर सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल बनाने के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की पसंद को प्राथमिकता दी और दीपक बैज को पीसीसी की कमान सौंप दी है। ऐन विधानसभा चुनाव के पहले हुए इस फेरबदल के कई मायने हैं।

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