देश में चावल की क़ीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए भारत सरकार ने सफेद नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है.
इसकी घोषणा करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि देश से निर्यात होने वाले चावल का एक चौथाई हिस्सा सफेद नॉन-बासमती चावल है. देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति के कारण धान की उपज को काफी नुक़सान पहुंचा है. इसलिए ये रोक लगाई जा रही है.
भारी बारिश और बाढ़ के कारण बीते 12 महीनों में चावल की क़ीमतों में 11 फ़ीसदी का उछाल आया है.
जानकारों ने आशंका जताई है कि इस फ़ैसले का बड़ा असर पड़ सकता है और इससे वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की क़ीमतें बढ़ सकती हैं.
बीते सप्ताह रूस ने यूक्रेन के साथ हुए अनाज समझौते से अपने हाथ पीछे खींच लिए थे जिसके बाद ये चिंता बढ़ गई थी कि इस कदम से दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति का संकट आ जाएगा.
जानकारों का कहना था कि इसका असर वैश्विक स्तर पर गेंहू की सप्लाई पर पड़ेगा.
रूस के साथ अनाज समझौते के तहत यूक्रेन के बंदरगाहों पर फंसे अनाज को सुरक्षित बाहर निकाल कर उसे ज़रूरतमंद देशों तक पहुंचाया जा रहा था.
भारत की बात करें तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है.
वैश्विक चावल सप्लाई का करीब 40 फीसदी भारत से ही आता है. सफेद नॉन-बासमती चावल एशिया और अफ्रीका के देशों को निर्यात किया जाता है.
बीते साल सरकार ने निर्यात कम करने की कोशिश में चावल पर 20 फीसदी का निर्यात कर लगाया था, साथ ही गेंहू और चीनी के निर्यात पर रोक लगाई थी.
सरकार का कहना है कि किसान अभी भी लंबे बासमती चावल समेत दूसरे प्रकार के चावल निर्यात कर सकेंगे और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार का फायदा ले सकेंगे.
फ़ॉरेन ट्रेड के डायरक्टरेट जनरल ने कहा है कि सरकार खाद्य संकट से जूझ रहे मुल्कों तक अनाज पहुंचाने की गुज़ारिश स्वीकार करेगी.