केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ संसद में विपक्ष के पेश किए अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद गुरुवार को पीएम मोदी लोकसभा में जवाब दिया. पीएम मोदी की स्पीच के बाद विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया.
कांग्रेस समेत विपक्ष ने शुरू में तो प्रधानमंत्री का भाषण सुना लेकिन बाद में वॉकआउट कर दिया था.
अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा, “देश की जनता ने हमारी सरकार पर बार-बार भरोसा जताया है और मैं देश की करोड़ों जनता के प्रति अपना आभार जताने के लिए यहां आया हूं.”
“आज मैं देख रहा हूं कि आपने (विपक्ष) तय कर लिया है कि जनता के आशीर्वाद से एनडीए और भाजपा पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए प्रचंड जीत के साथ वापस आएगी.”
उन्होंने कहा, “भगवान बहुत दयालु हैं और वे किसी ना किसी माध्यम से अपनी इच्छा की पूर्ति करता है. मैं इसे भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि ईश्वर ने विपक्ष को सुझाया और वे प्रस्ताव लेकर आए. विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है. मैंने 2018 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कहा था कि यह हमारे लिए फ्लोर टेस्ट नहीं है बल्कि ये उनके लिए फ्लोर टेस्ट है और परिणामस्वरूप वे चुनाव हार गए.”
मोदी के जवाब की ख़ास बातें
कई ऐसे बिल थे जो गांव, गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी के लिए थे, उनके कल्याण, भविष्य के साथ जुड़े हुए थे. लेकिन उनको (विपक्ष) इसकी चिंता नहीं है.
विपक्ष के आचरण, व्यवहार से सिद्ध हुआ है कि उनके लिए देश से अधिक दल है, देश से बड़ा दल है, देश से पहले प्राथमिकता दल की है. मैं समझता हूं कि गरीब की भूख की चिंता नहीं है, आपको सत्ता की भूख सवार है.
आपने इस प्रस्ताव पर किस तरह की चर्चा की है. मैं सोशल मीडिया पर देख रहा हूं कि ‘आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं.’ विपक्षी दल एक चीज़ पर जुटे भी तो अपने कट्टर दुश्मन के साथ जुटे. फील्डिंग विपक्ष ने सेट की लेकिन चौके छक्के यहीं से लगे. विपक्ष नो बॉल करता रहा.
मैंने 2018 में कहा था कि 2023 में फिर से आना. लेकिन फिर भी आपने (विपक्ष) मेहनत नहीं की. आपने (विपक्ष) देश को निराशा के अलावा और कुछ नहीं दिया. मैं विपक्ष के रवैये पर कहूंगा, ‘जिनके बही-खाते बिगड़े हुए हैं, वे भी हमसे हमारा हिसाब लिए फिरते हैं.
सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का बोलने वालों की सूची में नाम ही नहीं था. विपक्ष के प्रस्ताव पर तीन दिनों से अलग-अलग विषयों पर काफ़ी चर्चा हुई है. अच्छा होता कि सत्र की शुरुआत के बाद से ही विपक्ष ने गंभीरता के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया होता.
बीते दिनों इसी सदन ने और दोनों सदनों ने जन विश्वास बिल, मीडिएशन, डेंटल कमिशन बिल, आदिवासियों से जुड़े बिल, डिज़िटल डेटा प्रोटेक्शन बिल, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल, कोस्टल एक्वाकल्चर से जुड़ा बिल समेत कई महत्वपूर्ण बिल पास किए हैं.
ये ऐसे बिल थे जो हमारे मछुआरों के हक़ के लिए थे जिसका सबसे ज़्यादा लाभ केरल को होना था. केरल के सांसदों से ज़्यादा अपेक्षा थी कि वे ऐसे बिल पर तो अच्छे से चर्चा में हिस्सा लेते. लेकिन राजनीति उन पर ऐसे हावी हो चुकी है कि उन्हें मछुआरों की चिंता नहीं है.
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल के ज़रिए देश की युवा शक्ति की आशा और आकांक्षाओं के लिए एक नयी दिशा देने वाला बिल था. हिंदुस्तान एक साइंस पावर के रूप में कैसे उभरे, इस सोच के साथ ये बिल लाया गया था, उससे भी आपका एतराज़.
डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल अपने आप में देश के युवाओं के जज़्बे में जो बात प्रमुखता से है, उससे जुड़ा है. आने वाला समय तकनीक से चलने वाला है. लेकिन राजनीति आपके लिए प्राथमिकता है.
कई ऐसे बिल थे जो ग़रीब, आदिवासियों, दलितों, गांवों के कल्याण की चर्चा करने के लिए थे, उनके भविष्य के साथ जुड़े हुए थे. लेकिन इसमें इन्हें कोई रुचि नहीं है. देश की जनता ने जिस काम के लिए उन्हें यहां भेजा है, उस जनता का भी विश्वासघात किया गया है.