मोदी सरकार ने कुकी समुदाय की इस ‘तत्काल’ मांग को किया पूरा

मोदी सरकार ने कुकी समुदाय की इस ‘तत्काल’ मांग को किया पूरा

मणिपुर में जारी हिंसा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने चुराचांदपुर से मिजोरम की राजधानी आइजोल और कांगपोकपी, सेनापति से नागालैंड के दीमापुर तक हेलीकॉप्टर सेवा को अनुमति दे दी है.

गृह मंत्रालय ने इन दो मार्गों के लिए मौजूदा 75 फीसदी हेलीकॉप्टर सब्सिडी योजना के तहत अंतर-राज्य हेलीकॉप्टर सेवा को संचालित करने की मंजूरी देते हुए मणिपुर सरकार को एक पत्र भेजा है.

दरअसल मणिपुर में 3 मई से कुकी जनजाति और मैतेई समुदाय के बीच जारी जातीय हिंसा के कारण लोग दो पक्ष में बँट गए हैं.

दोनों समुदाय के बीच विभाजन की रेखा इतनी गहरी हो चुकी है कि पहाड़ों पर रहने वाले कुकी लोग अब इंफाल आने की बात सोच कर ही डर जाते हैं जबकि इंफाल घाटी के लोग पहाड़ी जिलों में जाने से कतराते हैं.

ऐसे में चुराचांदपुर जैसे पहाड़ी जिलों में बसे खासकर कुकी लोगों के लिए राज्य से बाहर जाने का एकमात्र विकल्प या तो आइजोल एयरपोर्ट है या फिर नागालैंड एयरपोर्ट. जबकि आइजोल और दीमापुर दोनों ही जगहों पर सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए नौ से दस घंटे का समय लगता है. ऐसे में इलाज के लिए या फिर किसी जरूरी काम के लिए बाहर जाने वालों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.

इस अंतर-राज्य हेलीकॉप्टर सेवा को संचालित करने की मंजूरी मिलने से राहत महसूस कर रहे इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के मीडिया संयोजक गिन्ज़ा वुअलज़ोंग कहते हैं, “30 मई 2023 को जब अमित शाह ने लमका (हिंसा के बाद कुकी लोग चुराचांदपुर को लमका कहते हैं) का दौरा किया तो आईटीएलएफ ने उनसे हेलीकॉप्टर सेवा की तत्काल मांग की थी. हमारे प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में गृह मंत्री को एक बार फिर से हेलीकॉप्टर सेवा की बात याद दिलाई थी.”

हिंसा के कारण मौजूदा माहौल में क्षेत्र से हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन कुकी लोगों की सरकार से की गई एक तत्काल मांग थी.

हालांकि हिंसा शुरू होने के बाद सरकार ने 9 जून से इंफाल एयरपोर्ट से चुराचांदपुर, स्थित 36 असम राइफल्स के हेलीपैड तक हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की थी. लेकिन कुकी लोगों ने इंफाल आना छोड़ दिया था.

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में हिंसा के कारण खासकर भारत-म्यांमार से सटे मोरेह शहर में बसे कुकी लोग भी पूरी तरह फँसे हुए हैं.

क्योंकि वहां से जंगल के रास्ते जो सड़क आइजोल तक जाती है उसपर यात्रा करना बेहद जोखिम से भरा है, जबकि मोरेह से बाकी अन्य जगहों पर पहुंचने के लिए इंफाल होकर ही गुजरना पड़ता है.

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