आदिवासी गोंड़ (अनुसूचित जनजाति) समाज की न्याय पूर्ण मांग को शासन-प्रशासन द्वारा अनदेखी कर आदिवासी गोंड (अनुसूचित जनजाति) समाज के धार्मिक भावनाओं पर चोट पहुँचाई जा रही है। हम शासन-प्रशासन के अड़यल रवैये से निराश होकर जनता के अदालत में अपनी बात पहुँचानें हेतु .
जैसा कि पूर्व में भी हमारे द्वारा प्रेस को अवगत कराया गया था कि, महासमुंद जिले
(01) एवम् बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में स्थित गौड़ राजा सिंघा ध्रुवा की किला एवम् पहाड़ी पर स्थित चाँदा दाई की गुफा गोण्डवाना राज्य के समय से धार्मिक आस्था का स्थल रहा है। जहाँ परम्परागत रूप से गॉड़ समाज द्वारा चाँदा दाई के रूप में माता कली कंकाली देवी की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के समय बड़ी संख्या में गोंड़ समाज के श्रद्धालू मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवम् उड़ीसा से आकर अपनी आस्था प्रकट करतें हैं। जहाँ गोंड़ समाज द्वारा सामुहिक रूप से प्रत्येक कुँवार नवरात्रि में ज्योत जंवारा एवम् नवा खाई का आयोजन किया जाता है। गोंड़ राजा सिंघा ध्रुवा के किला सिंघनगढ़ गोण्डवाना राजा का रहा है।
(02) छत्तीसगढ़ की अपनी एक अलग पहचान है, किन्तु देखा गया है कि, गोंड समाज की धार्मिक एवम् संस्कृतिक पहचान को हमेशा नुकसान पहुँचाया जाता रहा है, तथा धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण किये जानें के कई प्रमाण मिले है। जिससे गोंड़ समाज हमेशा से हताहत है। इसके लिये छत्तीसगढ़ गोंड़ समाज को हमेशा संघर्ष करना पड़ा है।
(03) दिनांक 14 अगस्त 2023 को रायपुर से प्रकाशित समाचार पत्र में उक्त सिंघा ध्रुवा सिंघनगढ़ किला स्थित जय चाँदा दाई प्रचीन गोंड़ गुफा को नागार्जुन गुफा का काल्पनिक नाम देकर एवम् कार्बन डेंटिंग किए जाने के संबंध में समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया है। गोंड़ समाज के धार्मिक आस्था स्थल को नागार्जुन गुफा मनगढंत नाम दिये जानें से एवम् 20 देशों से विद्रान बुलाकर गुफा
में छेड़खानी किये जानें पर गोंड समाज की धार्मिक भावना को गहरी आघात पहुँची है।
(04) सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण श्री सतीश जग्गी द्वारा उक्त गुफा को बगैर किसी ठोस आधार के बताकर, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार एवम् पूरे देश, विदेश को गुमराह कर रहे हैं। उक्त गुफा में जाँच कराना अर्थात छेड़खानी किया जाना गोंड़ समाज के साथ एक सोची समझी साजिश है ताकि, गौड़ समाज को ठेस पहुँचाई जा सके। बौद्ध धर्म को गोंड़ समाज (अनुसूचित जनजाति) सम्मान करतें हैं। परन्तु यदि उनके द्वारा सिंघा ध्रुवा सिंघन गढ़ किला स्थित जय चाँदा दाई प्रचीन गोंड़ गुफा चौदा दाई कली कंकाली देवी के प्रति हमारे आस्था में ठेस पहुॅचाई गई अथवा साजिश रची गई तो गोंड़ समाज पूर्ण विरोध करेगा एवम् उग्र आन्दोलन हेतु मरने या मारनें पर बाध्य होंगे। जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।
सत्र 2013-14 में पुरातात्विक सलाहकार श्री अरूण शर्मा द्वारा मनगढ़ंत कहानी बयां कर एवम् गुमराह कर दलाई लामा जी को लाया गया था जिसका उन्हें पूर्ण विरोध का सामना करना पड़ा। उपरोक्त व्यक्तियों के द्वारा भ्रामक दुस्प्रचार से बौद्ध धर्म एवम् प्रकृति धर्मी (भारतीय अनुसूचित जनजाति) के मध्य टकराव कराने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व में श्री शर्मा द्वारा चीनी यात्री व्हेनसांग की पुस्तक का हवाला ..
(06) क्या आस्था को बनाये रखने के लिए तथ्यों, प्रमाणों की जरूरत नहीं ?
- खुद पुरातत्ववेत्ता मान रहें हैं कि, सिरपुर से नजदीक गुफा हो सकती है? तो क्या कयास लगाकर किसी भी गुफा को नागार्जुन गुफा बताया जा सकता है?
- क्या यह अन्तराष्ट्रीय और राष्ट्रीय शोधार्थियों को धर्म के अनुयायियों को गुमराह नहीं किया जा रहा है?
- जब “ली” का प्रमाण नहीं तो कैसे साबित हुआ कि, यह गुफा नागार्जुन ध्यान स्थली थी?
तब अरूण शर्मा ने कहा कि दलाई लामा नें गुफा में ध्यान नहीं लगाया, मैं उनके साथ था 03-04 मिनट रूके गुफा में सफेद नाग निकल आया तो हम बाहर निकल आये कहकर खिसक गया।
07) भारतीय पुरातत्व विभाग के रायपुर मण्डल के अधीक्षक डॉ. अरुण राज द्वारा बताया गया कि, शासकीय रिकार्ड में ऐसा कोई तथ्य मौजूद नहीं है। जिस आधार पर कहा जा सके कि सिरपुर के पास कभी नागार्जुन ने निवास किया था एवम् जय चौदा दाई प्राचीन गौड गुफा में आराधना की थी।
(08) रविशंकर विश्व विद्यालय के पुरातत्व विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्री निगम द्वारा भी कहा गया कि. व्हेनसांग की पुस्तक में कही सिरपुर का उल्लेख नहीं है। केवल दक्षिण कोशल राजधानी और वहाँ से 17ली (1 ली 40 मील) दूरी स्थित “पोलो मोलो कीली” पहाड़ी पर नागार्जुन का निवास करना बताया गया था। उक्त पुस्तक के अनुसार भी उक्त पहाड़ी दक्षिण कोशल की राजधानी से दक्षिण में लगभग 680 किमी. दूर रही है।
(09) जय चाँदा दाई प्रचीन गौड़ गुफा वाली पहाड़ी सिरपुर से अन्य दिशा में केवल 17 किमी. उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है। इस प्रकार अरूण शर्मा का नागार्जुन गुफा का दावा बगैर आधार का मनगढ़ंत है।
(10) भारतीय संविधान के मूल प्रस्तावना एवम् अनुच्छेद 25 एवम् 26 के अव्हेलना पर 124 (ए) के तहत कार्यवाही कर इन जैसे पाखण्डी जमाती व्यक्तियों के डी.एन.ए. की शासन द्वारा जाँच कराये जानें की अपील करतें हैं ताकि, अनुसूचित जनजाति (मूल निवासीयों) के असली विरोधियों को पूरी दुनिया जान सके, जो विदेशों से अव्यवहारिक सम्बन्ध रखते हैं और यहाँ के मूल निवासियों के ऐतिहासिक धरोहर, आस्था का केन्द्र संस्कृति पर अतिक्रमण करनें पर घात लगाए हुए है जिसका हम समस्त अनुसूचित जनजाति समाज कड़ा विरोध करतें हैं।
आदिवासी अनुसूचित जनजाति गोंड़ समाज की रिती-निति, संस्कृति सदा से सहअस्तित्व के साथ जीनें की रही है। आदिवासी अनुसूचित जनजाति गोंड समाज मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जीव जन्तु तथा पेड़, नदी, पहाड़ के साथ भी हिल-मिल कर रहने पर विश्वास करता है। जिस कारण दक्षिण कौशल में हजारों-हजारों वर्षों से सुख शांति रही है । परन्तु अनुसूचित जनजाति समाज की धर्मस्थली में किसी भी प्रकार के छेड़खानी एवम् अतिक्रमण को • अनुसूचित जनजाति समाज कभी भी बर्दास्त नहीं करता रहा है और न ही अब करेगा।
अतः प्रेस वार्ता के माध्यम से आम जनता को आदिवासी समाज वास्तविकता से अवगत कराना चाहता है। तथा आम जनता से अपील भी करतें हैं कि, संघर्ष की स्थिति में आदिवासी अनुसूचित जनजाति समाज की भावनाओं को वे भी अवश्य समझें तथा समर्थन करें।