मुज़फ़्फ़रनगरः छात्र की पिटाई के वायरल वीडियो मामले में मुक़दमा दर्ज

मुज़फ़्फ़रनगरः छात्र की पिटाई के वायरल वीडियो मामले में मुक़दमा दर्ज

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल में मुस्लिम बच्चे की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.

वीडियो के वायरल होने के बाद शनिवार को बच्चे के पिता की तहरीर के आधार पर स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 323 और 506 के तहत मुक़दमा दर्ज किया है.

इस मामले में क्या कह रही हैं बच्चे की मां रूबीना और क्या है पिता इरशाद का कहना? स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी क्या बोलीं?

वीडियो के वायरल होने के बाद शनिवार को बच्चे के पिता की तहरीर के आधार पर स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 323 और 506 के तहत मुक़दमा दर्ज किया है.

ये धाराएं चोट पहुंचाने और जानबूझकर अपमान करने से जुड़ी हैं.

लेकिन ज़िला पुलिस ने इस मामले में दी गई तहरीर के मुताबिक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर धारा 123 ए का इस्तेमाल नहीं किया है, इस बारे में पूछे जाने पर पुलिस क्षेत्राधिकारी ने कहा, “जांच की जा रही है. जांच में आगे जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी के मुताबिक विधिवत कार्रवाई की जाएगी.”

क्या कह रही हैं बच्चे की मां
इस पूरे मामले में बच्चे की मां रूबीना कहती हैं, “मैडम ने ग़लत किया है. बच्चों से नहीं पिटवाना चाहिए था, चाहे ख़ुद मार लेती.”

रुबीना यहीं नहीं ठहरती हैं, वो कहती हैं, “ऐसा लगता है कि मैडम मुसलमानों के ख़िलाफ़ हैं. इसका मतलब तो ये ही है.”

वहीं नेहा पब्लिक स्कूल की संचालिका तृप्ता त्यागी का मानना है कि इस घटना को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.

तृप्ता कहती हैं, “ये कुछ भी मामला नहीं था. ये बनाया गया है. मुझे साज़िश के तहत फंसाया गया. मैं किसी भी बच्चे को हिंदू-मुस्लिम की दृष्टि से नहीं देखती. मेरे स्कूल में अधिकांश बच्चे मुस्लिम ही हैं. पीटने वाले बच्चों में मुस्लिम बच्चे भी थे.

हालांकि इस मामले में बच्चे के पिता इरशाद ज़रूर ये कहते हैं, “इसमें हिंदू मुस्लिम वाला कोई मामला नहीं है, सिर्फ़ बच्चे की पिटाई का ही मामला है. वो मेरे बच्चे को टॉर्चर कर रहे थे. हमने एफ़आईआर करा दी है. अब जो भी करेगा, वो प्रशासन ही करेगा.”

इस मामले को लेकर लखनऊ के मानवाधिकार वकील एसएम हैदर रिज़वी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास शिकायत दर्ज की है.

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