बिहार में जाति आधारित सर्वे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि उसके अलावा किसी को भी जनगणना या उससे मिलती-जुलती कार्रवाई करने का हक़ नहीं है.
केंद्र सरकार ने बिहार में जाति आधारित सर्वे को बरकरार रखने वाले पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के सामने ये हलफ़नामा दायर किया है.
केंद्र ने कहा कि उसने ये हलफ़नामा शीर्ष अदालत के सामने संवैधानिक और कानूनी स्थिति साफ़ करने के उद्देश्य से दायर किया है और वह एससी/एसटी/एसईबीसी समुदाय के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है.
हलफ़नामे में कहा गया है कि जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है, जो कि सेंसस एक्ट, 1948 के तहत आती है.
इस एक्ट में केवल केंद्र सरकार के पास जनगणना या उससे मिलती-जुलती कार्रवाई का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में बिहार सरकार के जाति-आधारित सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
बिहार में जाति आधारित सर्वे की प्रक्रिया 7 जनवरी, 2023 से शुरू हुई.
बिहार में इस सर्वे को कराने की ज़िम्मेदारी सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई है.