कट्टर धार्मिक, जातिवादी और पितृसत्तात्मक ताकतों द्वारा संस्कृति, परम्परा और प्रतिष्ठा के नाम पर जारी अपराध व सामाजिक- आर्थिक बहिष्कार के खिलाफ मुकाबला करने के लिए पी.यु.सी.एल छत्तीसगढ़ तथा सहयोगी सगठन द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन
भारत में संस्कृति, परम्परा एवं प्रतिष्टा आधारित अपराध और हिंसा से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं, विशिष्ट तौर पर दलित आदिवासी जातियां, सीमान्त महिलायें, धार्मिक अल्पसंख्यक और एल जी बी टी क्यू आई समुदाय के सदस्य.
सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार के मामलों में ऐसा हौव्वा खड़ा किया जाता है कि बहिष्कृत व्यक्ति अथवा समुदाय ने पूरे समाज का कोई बड़ा नुकसान किया है, जबकि जनसंगठनों ने अपने जमीनी तथ्यान्वेषण में यह पाया है कि ऐसे बहुतायत मामले नैतिक (moral) पुलिसिंग का परिणाम होता है, जो कि धार्मिक जातीय – पितृसत्ता के विधानों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति और समुदायों का निगरानी कर उन्हें दासता की जंजीरों से कसकर जकड़े रखना इनका मकसद होता है. यह भी उल्लेखनीय है कि कट्टरपंथी ताकतों ने समाज धर्म पर खतरा के नाम पर भड़का कर ऐसे मौकों को दंगा का रूप देने संगठित साजिश रचने में कोई कसर नहीं छोड़ा है.
एक ओर धर्म के आधार पर लोगों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जा रहा है – भिलाई दुर्ग के चित्रलेखा साहू जी, 2013 से इसी धर्म अपनाने के कारण को साहू समाज ने पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार कर दिया, अपने पति एवं सास ससुर से भी अलग कर दिया गया है उनको और बहनों को बाधकर साहू समाज व अन्य हिन्दू संगठनों के द्वारा मंदिर के रेलिंग में चेन से बांधकर सर्वजनानिक रूप से चप्पलों से मारा. वैसे ही दक्षिण छत्तीसगढ़ के कई महिलाओं को, जिन्होंने इसाई धर्म अपनाया, उन्हें हिंसात्मक रूप से परिवार व जाती समाज से बहिष्कृत किया गया संतानी ध्रुव, सारा कवासी जिन्होंने सालों से ऐसी प्रताड़ना झेली है- उनोने भी सम्मेल्लन में शामिल होते हुए अपनी आपबीती बताई. कोंडागांव के सनाउराम पोटाइ ने बताया कि 2021 में जब उनके एक रिश्तेदार जिन्होंने इसाई धर्म को अपनाया था उनको गाँव के नदी किनारे दफनाया गया तो एक साल बाद 2022 में समाज वालों ने मीटिंग करके एक साल पुराना मिटटी को खुदवाकर मिटटी को थाना लेजाकर डाल दिए और उस दौरान पुलिस ने गाँव के क्रिस्टियन परिवारों को गाँव से बाहर जाने नहीं दिया, और उसके बाद पुलिस के उपस्थिति में मिट्टी को फारस गाँव के क्रिस्चियन कब्रस्तान में दफनाया गया. एक और घटने में बोंजा मंडावी के 12 एकड़ ज़मीन को छीन लिया गया। बिरहानपुर में भी अंतरजातीय विवाह को लव जिहाद कहकर खुलेआम साहू संगठनों द्वारा मुसलमान परिवारों का सामाजिक एवं आर्थिक बहिष्कार करने कि घोषणा करके लागू किया गया जो अभी तक चल रहा हैं.