भारत में पांच करोड़ बच्चे अत्यंत गरीबी में जीने को मजबूर

अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी में बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद दुनिया में बेहद गरीबी यानी प्रतिदिन 2.15 डॉलर (करीब 178 रुपये) से भी कम पर जीवन गुजारने वाली आबादी में बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

विश्व बैंक और यूनिसेफ द्वारा किए नए विश्लेषण से पता चला है कि दुनिया में अत्यंत गरीबी की मार झेल रहे लोगों में आधे से ज्यादा यानी 52.5 फीसदी बच्चे हैं। अत्यधिक गरीबी में रहने वाला हर दूसरा इंसान एक बच्चा है। रिपोर्ट के अनुसार जहां 2013 में इनकी आबादी 47.3 फीसदी थी, जो 2022 में बढ़कर 52.5 फीसदी पर पहुंच गई है।

रिपोर्ट के अनुसार वयस्कों की तुलना में बच्चों की गरीबी तेजी से बढ़ रही है। वैश्विक स्तर पर 2022 में वयस्कों की 6.6 फीसदी आबादी ऐसे घरों में रह रही थी जो बेहद गरीबी का शिकार थे जबकि बच्चों में यह संख्या 15.9 फीसदी थी, जो दोगुनी से भी ज्यादा है। यदि भारत के संदर्भ में देखें तो 5.2 करोड़ यानी 11.5 फीसदी बच्चे बेहद गरीब घरों में रह रहे हैं। हैरानी की बात है कि पांच वर्ष से छोटी उम्र के बच्चों में गरीबी की दर सबसे अधिक है। आंकड़ों के अनुसार अत्यधिक गरीबी की मार झेल रहे घरों में रहने वाले करीब 18.3 फीसदी यानी 9.9 करोड़ बच्चों की उम्र पांच साल या उससे कम है

बच्चों के शारीरिक, सामाजिक विकास पर पड़ रहा बुरा असर
रिपोर्ट के अनुसार गरीबी बच्चों के शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास पर गहरा प्रभाव डालती है। यह जीवन प्रत्याशा को छोटा करती है। जीवन की गुणवत्ता को कमजोर करती है, विश्वास को कमजोर करती है और दृष्टिकोण व व्यवहार में नकारात्मक प्रभाव डालती है।

यूनिसेफ के विश्लेषण के अनुसार गरीबी की मार झेल रहे अधिकांश बच्चे उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में केंद्रित हैं। उप-सहारा अफ्रीका में गरीबी की मार झेल रहे बच्चों की दर दुनिया में सबसे अधिक 40 फीसदी है। वहीं दक्षिण एशिया में यह दर 9.7 फीसदी है। दोनों क्षेत्रों में दुनिया के 90% बेहद गरीब बच्चे रहते हैं।

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल का कहना है कि बाल गरीबी का बने रहना अत्यधिक गरीबी उन्मूलन के वैश्विक लक्ष्य पर निर्णायक प्रभाव डालता है। वर्ल्ड बैंक के वैश्विक निदेशक लुइस फेलिप काल्वा का कहना है कि यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है की सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के साथ गरीबी से बाहर निकलने का स्पष्ट रास्ता मिले।

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