संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जो शुक्रवार, 22 सितंबर तक चलेगा.
विशेष सत्र से एक दिन पहले रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक की.
बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एच.डी. देवगौड़ा, डीएमके सांसद कनिमोझी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, बीजेडी के सस्मित पात्रा ने हिस्सा लिया.
इसके अलावा बैठक में बीआरएस नेता के. केशव राव, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी. विजयसाई रेड्डी, आरजेडी के मनोज झा, टीडीपी के राम मोहन नायडू, जदयू के अनिल हेगड़े और समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और अन्य नेता शामिल रहे.
विशेष सत्र में क्या होगा?
रविवार को संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि विशेष सत्र के पहले दिन की कार्यवाही संसद की पुरानी बिल्डिंग में होगी.
पत्रकारों से बात करते हुए प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पहले दिन संविधान सभा से लेकर संसद के 75 साल के सफ़र, उपलब्धियों, अनुभव और और हमें क्या सीखा, इस पर चर्चा होगी.
दूसरे दिन यानी 19 सितम्बर, मंगलवार को पुराने संसद भवन में एक फ़ोटो सेशन होगा और उसके बाद 11 बजे सुबह सेंट्रल हाल में एक कार्यक्रम आयोजित होगा.
प्रल्हाद जोशी के मुताबिक, 19 सितम्बर को ही संसद के नए भवन में पहला संसद सत्र शुरू होगा और सामान्य सरकारी कामकाज 20 सितम्बर से शुरू होगा.
नई संसद का पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई को उद्घाटन किया था, लेकिन मॉनसून सत्र संसद की पुरानी इमारत में ही हुआ था. नई संसद को 970 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
किन विधेयकों पर होगी चर्चा?
राज्यसभा के बुलेटिन के मुताबिक़, संसद के विशेष सत्र में राज्यसभा में तीन और लोकसभा में दो बिलों पर चर्चा होगा.
पोस्ट ऑफिस विधेयक 2023
मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवाओं और कार्यकाल से संबंधित विधेयक
निरसन एवं संशोधन विधेयक 2023
अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023
प्रेस एवं पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023
इन बिलों में सबसे चर्चित है मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक.
कहा जा रहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया को हटाने का सरकार का इरादा है और इसलिए ये बिल लाया जा रहा है.
अभी तक मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने वाली कमिटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश होते हैं. नए विधेयक में मुख्य न्यायाधीश की जगह कैबिनेट मंत्री को शामिल किए जाने की बात कही गई है.
विपक्ष की मांग
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि उनकी पार्टी की मांग है कि केंद्र सरकार विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पास किया जाए.
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, ”कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए.”
जयराम रमेश ने लिखा, ”आज पंचायतों और नगरपालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं. यह 40 फ़ीसदी के आसपास है.”
“महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए. विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका.”
उन्होंने लिखा, ”राज्यसभा में पेश या पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित (सक्रिय) है. कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए.”
कारणों पर कयासबाज़ी
संसद का विशेष सत्र जैसे ही बुलाया गया था, वैसे ही ये कयास शुरू हो गए थे कि इसका मकसद क्या है.
सत्र बुलाने के एलान के बाद केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक देश एक चुनाव’ पर कमिटी बनाई थी.
इस कमेटी के बनाए जाने के बाद मीडिया में कहा गया कि विशेष सत्र में इसी पर चर्चा होगी.
इस कमेटी की पहली बैठक 23 सितंबर को होगी.
इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी को सदस्य के रूप में नामित किया गया था.
लेकिन बाद में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया था.