सुबह – सुबह चुनाव आयोग की याद आई !

सुबह – सुबह चुनाव आयोग की याद आई !

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को आपने कैसे पंजीकृत कर दिया ? महिला आरक्षण, महिला वंदन, महिला सशक्तिकरण के युग में जिस पार्टी ने दुनिया की आधी आबादी को अपने पार्टी नाम में तवज्जों नही दिया।

अनुज को आयातित कर सारे ज्येष्ठो के कंधे पर चढ़ाकर ज्येष्ठ घोषित कर दिए !

भाजपा की उम्मीदवारों की सूची को लेकर बवाल उठ रहा है, उसमें तो कई विधानसभा का नाम प्रमुख तौर दिखाई दे रहा, जैसे धरसीवां जहां भाजपा के प्रतिबद्ध समर्पित कार्यकर्ता अनुज को बड़ा वाला बाहरी पैराशूट प्रत्याशी बता रहे हैं।

जो प्राथमिक सदस्य भी नही है, उसे समूचे क्षेत्र का प्रधान बनाना अनोखा मापदण्ड है !

साजा के संभावित भाजपा उम्मीदवार का हमें क्या! भाजपा के वर्षो पूराने सदस्य समर्थक कार्यकर्ता को भी समझ नही आ रही हैं, भाजपा के लोग ही सवाल उठा रहे हैं, जो प्राथमिक सदस्य भी नही है, उसे विधानसभा का उम्मीदवार कैसे बनाया ? बहरहाल यह‌ पार्टी का अपना निर्णय है।

यह साहस नही दुस्साहस है, हमेशा काबिल लोगों को दुखी करना !

राजनांदगांव विधानसभा में पिछली बार डॉ. रमनसिंह ग्रामीण क्षेत्र से आठ हजार मतों से पिछड़ गये थे, एवं शहर में पच्चीस हजार मतों की बढ़त ली थी। उम्मीद के विपरीत राजनांदगांव के अन्य लोकप्रिय नेताओं को प्रत्याशी न बनाकर डॉ. रमनसिंह को फिर प्रत्याशी बनाया है याद रखना होगा जहां डाक्टर साहब को बढ़त मिली थी, उसी शहरी क्षेत्र के भाजपा में अब दरकन दिखाई दे रही है। हम तो आम मतदाता हैं चुनाव पूर्व चर्चा ही कर सकते हैं, आने दीजिए काॅग्रेस की सूची उस पर भी चर्चा करेंगे।

पूंजीवादी चुनाव प्रणाली में मतदाता निर्णायक शक्ति होने के बावजूद संगठन के अभाव में, विकल्प के अभाव में ठगा जाता है। पार्टियां जीत जाती है, जनता हार जाती है।

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