तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचीं। राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद उनकी यह पहली और तंजानिया के किसी राष्ट्रपति की आठ साल बाद भारत यात्रा है। ऐतिहासिक रूप से भारत के करीबी रहे इस अफ्रीकी देश से अब चीन के सैन्य और आर्थिक रिश्ते हैं। भारत की नजर चीन के पाले से निकलने को बेताब तंजानिया के साथ आर्थिक और रक्षा करार कर उससे पहले जैसे करीबी संबंध बनाने पर है।
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक्स पर कहा कि संबंधों को एक नई गति देने के लिए तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन भारत यात्रा पर आई हैं। वह सोमवार को राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी। वह और पीएम मोदी द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार शाम तंजानिया की राष्ट्रपति से मुलाकात की। उन्होंने एक्स पर लिखा राष्ट्रपति से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
रक्षा समेत 15 समझौतों पर होंगे हस्ताक्षर
तंजानिया के विदेश मंत्री जनवरी यूसुफ मकाम्बा ने कहा कि दोनों देश सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने कहा कि हम अगले तीन वर्षों में 10 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि तंजानिया के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण यात्रा है।
80 के दशक तक दोनों देशों के थे प्रगाढ़ रिश्ते
80 के दशक तक भारत-तंजानिया के संबंध प्रगाढ़ थे। तंजानिया के तत्कालीन राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे को 1974 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड और 1995 में गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अब वैश्विक दक्षिण में चीन के प्रभाव पर नियंत्रण के लिए तंजानिया के साथ सहयोग महत्वपूर्ण है।