मोदी सरकार ने राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसियों को नियंत्रित – संचालित करने के लिए इसके ऊपर एक उच्च स्तरीय संस्था नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी में अजीत डोभाल को बिठाया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की तर्ज पर सीबीआई और ईडी को नियंत्रित – संचालित करने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर का गठन करने जा रही है। ताकि सेवानिवृत्त पश्चात ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा की सेवा नियंत्रित रहे।
केन्द्र सरकार प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) के निदेशक संजय मिश्रा का सेवाविस्तार कई बार करती रही है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के सेवा अवधि बढ़ाने पर रोक लगाते हुए अंतिम तौर 15 सितम्बर 2023 तक संजय मिश्रा का सेवाकाल निर्धारित कर दिया था। 15 सितम्बर की अवधि बीत जाने पर मोदी सरकार ने अपने चहेते अधिकारी के लिए एक नया पद राष्ट्रीय जांच अधिकारी ( एनआईओ ) सृजित कर रही है। उस पद का प्रशासनिक रूतबा इतना होगा, कि वह सीबीआई और ईडी दोनों की माॅनीटरिंग करेगा।
सीबीआई अधिकारी मुनीष पांडे ने ईडी के सहायक निदेशक पवन खत्री को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है !
प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) में सहायक निदेशक के पद पर काम करने वाले पवन खत्री ने शराब नीति मामले में आरोपी व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल्ल से 5 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। सीबीआई ने पवन खत्री समेत दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ रिश्वत के आरोप में शिकायत दर्ज की थी। अब जांच के बाद खत्री को गिरफ्तार कर लिया गया है।
किसी विभाग की स्वाभाविक कार्यवाही को बाधित कर नियंत्रण करना तानाशाही प्रवृत्ति है !
दो विभाग जब अपने कर्त्तव्य निर्वहन में एक दूसरे के विरूद्ध कार्यवाही करते हैं, तब मोदी सरकार एक नया पद सृजित कर उनके ऊपर बिठा देती है। यह सरकार की दृष्टि से सही हो सकता है, लेकिन सार्थक और पारदर्शीय कार्यवाही बाधित होगी।