- प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ में आकर लगातार झूठ बोल कर जाते है कि छत्तीसगढ़ धान खरीदी केंद्र सरकार करती है। • छत्तीसगढ़ में धान कांग्रेस सरकार अपने खुद के दम पर खरीदती है धान खरीदने में केन्द्र सरकार का एक पैसे
का भी योगदान नहीं है। • राज्य सरकार धान खरीदी मार्कफेड के माध्यम से करती है इसके लिये मार्कफेड विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेती है तथा इस ऋण के लिये बैंक गारंटी राज्य सरकार देती है तथा धान खरीदी में जो घाटा होता है उसकी
भी राज्य सरकार वहन करती है पिछले वर्ष मार्कफेड ने लगभग 35000 करोड़ का ऋण धान खरीदी के लिये लिया
था।
- मोदी सरकार तो घोषित समर्थन मूल्य से 1 रूपये भी ज्यादा कीमत देने पर राज्य सरकार को धमकाती है की यह राज्य से केन्द्रीय योजनओं के लिये लगने वाला चावल नहीं खरीदेंगे। अकेली छत्तीसगढ़ सरकार है जो अपने धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा कीमत देती है।
छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष धान की कीमत 2640 मिली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, जैसे राज्यों में तो किसानों
को धान का मूल्य 1100 रूपये मिलता है।
- छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां किसानों को प्रति एकड़ धान पर 9,000 रुपये तथा अन्य फसल पर 10,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी मिलती है। • छत्तीसगढ़ देश का अकेला राज्य है जहां पर कृषि मजदूरों को प्रतिवर्ष 7000 रूपये मिलता है छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के खाते में 1.50 लाख करोड़ रूपये सीधे डाला है।
- छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति केंद्र सरकार की दुर्भावना इतनी ज्यादा है कि केंद्र के पास राज्यों को देने चावल का स्टॉक नहीं है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से 35 लाख मीट्रिक टन चावल मांगा उसके लिये कर्नाटका सरकार भुगतान भी करती लेकिन केंद्र ने स्टॉक नहीं होने की बात कर कर्नाटका को चावल देने से मना कर दिया। वहीं केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ से इस वर्ष 86 लाख टन चावल लेने का एमओयू करती है लेकिन बाद में केंद्र इस एमओयू से चावल लेने की मात्रा घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन कर देता है। यह छत्तीसगढ़ के साथ दुर्भावना नहीं है तो और क्या है? आपको विभिन्न योजनाओं में चावल देने के लिये चाहिये आपके पास स्टॉक भी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में किसान भरपूर धान पैदा कर रहे यहां पर इस वर्ष कांग्रेस की सरकार ने 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में चुनाव है। छत्तीसगढ़ सरकार को असहयोग करना है इसलिये वहां की सरकार से चावल नहीं लेना है यह केंद्र की दुर्भावना है।
हर साल भाजपा की केन्द्र सरकार ने धान खरीदी में तमाम बाधा पैदा किया था। भाजपा कभी नहीं चाहती की छत्तीसगढ़ के किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीद हो उनकी केन्द्र सरकार ने सेन्ट्रल पुल में उसना चावल लेने से मना कर दिया था। छत्तीसगढ़ का कोई भी भाजपा नेता सांसद, विधायक इस संबंध में केन्द्र से पहल करने आगे नहीं आया था।
- केन्द्र ने धान खरीदी के लिये छत्तीसगढ़ को पर्याप्त बारदाना नहीं दिया था। उसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने खुद व्यवस्था करके किसानों का पूरा धान खरीदा था। बारदानों के मामले में भी छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं ने यह प्रयास किया कि राज्य को पूरा बारदाना न मिले ताकि राज्य धान खरीदी न कर पाये। भाजपा के तमाम षडयंत्रो के बावजूद कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी थी तथा किसानों का पूरा धान खरीद कर अपना ही पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। इस वर्ष भी रिकार्ड धान की खरीदी होगी।
. पूर्व के रमन भाजपा सरकार के दौरान सात से आठ लाख किसान धान बेचत थे और 50 लाख मैट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी 15 साल में नहीं हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के सरकार बनने के बाद वादा अनुसार धान की कीमत 2500 रु. प्रति क्विटले दिया गया तो आज धान बेचने वाले किसानों के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या 25 लाख तक पहुंच गई है और फसल लगाने के रकबा में 5 लाख हेक्टयर की बढ़ोतरी हुई है।
- केंद्र भले एक दाना चावल मत ले कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का दाना दाना धान खरीदेगी। • इस वर्ष भी कांग्रेस सरकार ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का लक्ष्य रखा है तथा इस वर्ष राज्य के किसानों से कांग्रेस सरकार 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेगी।