ईडी की जांच में पता चला है कि विशेष भत्ते में 40 रुपए से 120 रुपए प्रति क्विंटल के इजाफे के बाद 500 करोड़ रुपए का भुगतान जारी किया गया, जिसमें 175 करोड़ रुपए की ‘रिश्वत’ थी, जिसे चंद्राकर ने सोनी की सक्रिय सहायता से ‘उच्च शक्तियों’ के लाभ के लिए इकट्ठा किया था.
Chhattisgarh Custom Rice Milling Scam: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की ओर से छत्तीसगढ़ में कस्टम राइस मिलिंग (Custom Rice Milling) प्रोत्साहन में बड़े घोटाले का आरोप लगाया गया है. एजेंसी ने सोमवार को दावा किया कि राज्य मार्कफेड के एक पूर्व प्रबंध निदेशक और चावल मिल मालिक एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने ‘उच्च पदों पर बैठे लोगों’ को फायदा पहुंचाने के लिए 175 करोड़ रुपए की रिश्वत ली है. ईडी (ED) ने एक बयान जारी कर इस आरोप का खुलासा किया है.
केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक 20 और 21 अक्टूबर को पूर्व मार्कफेड एमडी मनोज सोनी, राज्य चावल मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर सहित कुछ पदाधिकारियों, जिला मार्केटिंग ऑफिसर्स और कुछ चावल मिल मालिकों के ठिकानों पर छापेमारी और तलाशी के दौरान इस घोटाले का पता चला. ईडी ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उसकी यह कार्रवाई रायपुर की एक अदालत के समक्ष इनकम टैक्स विभाग की ओर से दायर एक शिकायत से उपजी है.
इनकम टैक्स विभाग ने लगाए थे आरोप
इनकम टैक्स विभाग ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ धान मिल मालिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने राज्य विपणन महासंघ लिमिटेड (मार्कफेड) के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर विशेष प्रोत्साहन राशि के दुरूपयोग की साजिश रची, जो धान से चावल निकालने की प्रक्रिया पर राज्य सरकार की ओर से मिल मालिकों को प्रति क्विंटल चावल पर 40 रुपए के रूप में दी जाती है. ईडी के अनुसार 40 रुपए की राशि को बढ़ाकर 120 रुपए प्रति क्विंटल किया गया और 60-60 रुपए की दो किस्तों में भुगतान किया गया.
क्या हैं ED के आरोप?
आरोप है कि चावल मिलर्स के बिल प्राप्त होने पर डीएमओ ने संबंधित जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन से प्राप्त विवरण के साथ उनकी जांच की और फिर यह जानकारी मार्कफेड के मुख्य कार्यालय को दे दी गई. ईडी का आरोप है कि केवल उन चावल मिल मालिकों के बिलों को मार्कफेड के एमडी की ओर से भुगतान के लिए मंजूरी दे दी गई, जिन्होंने एसोसिएशन को नकद राशि का भुगतान किया है.
175 करोड़ रुपए की रिश्वत का आरोप
ईडी की जांच में पता चला है कि विशेष भत्ते में 40 रुपए से 120 रुपए प्रति क्विंटल के इजाफे के बाद 500 करोड़ रुपए का भुगतान जारी किया गया, जिसमें 175 करोड़ रुपए की ‘रिश्वत’ थी, जिसे चंद्राकर ने सोनी की सक्रिय सहायता से ‘उच्च शक्तियों’ के लाभ के लिए इकट्ठा किया था. एजेंसी ने कहा है कि उसने छापेमारी के दौरान 1.06 करोड़ रुपए की राशि के ‘आपत्तिजनक’ दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और ‘बेहिसाब नकदी’ जब्त की गई है.