भविष्य में छाने वाली घटाटोप अंधकार के लिए रौशनी की तलाश में वर्तमान प्रधानमंत्री पूर्व राष्ट्रपति के घर जाकर दिया जलाया !

भविष्य में छाने वाली घटाटोप अंधकार के लिए रौशनी की तलाश में वर्तमान प्रधानमंत्री पूर्व राष्ट्रपति के घर जाकर दिया जलाया !

मोदीजी के इस गणितीय आचरण को संस्कार और परम्परा की श्रेणी से नही देखा जा सकता। मोदीजी को संस्कार परम्परा ही यदि निभानी होती तो अपने गुरूतुल्य अग्रज लालकृष्ण आडवाणी के घर जाते, लेकिन वहां से निकलने वाली रौशनी मोदीजी को रास्ता नही दिखाएगी, न ही छा रहे अंधकार का निवारण ही कर सकती है। महामहिम राष्ट्रपति से पूर्व राष्ट्रपति ज्यादा उपयोगी हो सकते हैं।

1991में भाजपा में शामिल होने वाले रामनाथ कोविंद दो मर्तबा विधानसभा का चुनाव बिहार के घाटमपुर एवं भोगनीपुर से हार गये थे। 2014 के चुनाव में विधानसभा की टिकट के लिए लाईन में लगे रहे लेकिन असफल हुए। श्री रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय कोली समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, भाजपा को किसी ने सुझाया कि किसी समय कांग्रेस के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी हुआ करते थे भाजपा ने भी उस प्रयोग को अपनाते हुए आसन्न चुनाव और संकट दोनों को साधना चाहती है। अभिलेख कहता है कि 2017 में महामहिम राष्ट्रपति रहते हुए से कहीं ज़्यादा पूर्व राष्ट्रपति होने पर उनके आवास पर अकल्पनीय तौर अतिविशिष्ट व्यक्तियों की लाईन लग रही है।

21 जुलाई 2022 को रामनाथ कोविंद सेवानिवृत्त हो गये, बहुमत दल के आधार पर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनाई गई। मोदी सरकार में उनको मिल रही राजकीय सम्मान के विषय में कुछ भी कहना बेमानी होगा। इधर सत्ता दूरगामी लक्ष्य साधने की तैयारी से पूर्व महामहिम को उनके गरिमा के विपरीत वन नेशन वन इलेक्शन नामक एक कमेटी का चैयरमैन बना दिया जाता है। जून 2023 को प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी उनके आवास पहुंचते हैं, 19 जुलाई 2023 को भारत मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड साहब पहुंचते हैं। गृहमंत्री अमीतशाह का जाना लगातार हो रहा है, आदरणीय मोहन भागवत मुलाकात कर आते हैं और अब दीपावली के दीपों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहुंच जाते हैं।

कहते हैं, सितारें गर्दिश में हो तो राष्ट्र से दिया जलवाना या राष्ट्रपति के घर जाकर दिया जलाना असर नही करता, क्योंकि मंहगाई, बेरोजगारी, वैमनस्यता, भ्रष्टाचार, यह तो आपकी नीतियों ने पैदा की है।

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