छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का बाज़ार गरमाया हुआ है.
पिछले चार दिनों से गली-मोहल्लों में इस बात पर बहस जारी है कि विधानसभा की 90 में से 54 सीटें हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी, आख़िर राज्य की कमान किस नेता को सौंपेगी?
भाजपा के कई नेता मान कर चल रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकता है.
भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर चुनाव के दौरान ही कह चुके हैं कि पार्टी जिसे मुख्यमंत्री बनाएगी, उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा.
दो दिन पहले दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं की, चार घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद यह जानकारी सामने आई है कि आज भाजपा मुख्यमंत्री चयन के लिए अपने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकती है और पर्यवेक्षक की उपस्थिति में रायपुर में विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री की घोषणा की जा सकती है.
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के अलावा इस बार राज्य में दो उप-मुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे. एक नज़र मुख्यमंत्री पद के दावेदारों पर…
रमन सिंह
हालांकि मुख्यमंत्री पद पर ‘चौंकाने वाले नाम’ के ओम माथुर के दावे के कारण कई नए नामों पर अटकलें जारी हैं.
उनके अलावा मुख्यमंत्री पद के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें 15 सालों तक छत्तीसगढ़ की कमान संभालने वाले रमन सिंह भी शामिल हैं.
लेकिन रमन सिंह अभी इस मुद्दे पर किसी बहस में नहीं उलझना चाहते.
रमन सिंह ने कहा, “थोड़ी प्रतीक्षा करें, जल्दी ही विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाएगा.”
विष्णुदेव साय और ओपी चौधरी
रमन सिंह के अलावा कुछ महीने पहले तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके आदिवासी नेता विष्णुदेव साय का नाम भी उस सूची में है, जिन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
विष्णुदेव साय सांसद और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
कई ज़िलों के कलेक्टर रह चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र दे कर भाजपा में शामिल होने वाले ओपी चौधरी भी भारी मतों के अंतर से चुनाव जीत कर आए हैं.
हालांकि पांच साल पहले, 2018 में उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इन पांच सालों में उन्होंने बीजेपी संगठन में मज़बूती से काम किया है.
वे भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं, जो केंद्रीय नेतृत्व से सीधे संपर्क में रहता है.
कभी केंद्र में मंत्री रह चुके विष्णुदेव साय और तेज़ तर्रार युवा नेता ओपी चौधरी, दोनों ही नेताओं के चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि इन्हें विधायक आप बनाइए, बड़ा आदमी बनाने की ज़िम्मेदारी मेरी है.
रेणुका सिंह
केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह भी मुख्यमंत्री की दौड़ में बताई जा रही हैं.
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ही उन्हें कार्यकर्ताओं ने ‘सीएम दीदी’ भी कहना शुरू कर दिया था. उन्होंने भी ताज़ा चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की है.
रेणुका सिंह आदिवासी समाज से आती हैं और रमन सिंह की सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं.
रामविचार नेताम और अरुण साव
राज्य में लंबे समय तक मंत्री और सांसद रह चुके आदिवासी नेता रामविचार नेताम को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं.
रमन सिंह की सरकार में जब कभी आदिवासी मुख्यमंत्री की बात चली, रामविचार नेताम का नाम उसमें आगे रहा. रामविचार नेताम भी रमन सिंह सरकार में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व निभा चुके हैं.
प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सांसद और अब विधायक बने अरुण साव, स्वाभाविक रुप से किसी बड़े पद के दावेदार माने जा रहे हैं.
राज्य में ओबीसी वर्ग के नेता बन कर उभरे भूपेश बघेल के मुकाबले के लिए, ओबीसी वर्ग की सबसे बड़ी, साहू जाति से आने वाले अरुण साव को जब प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी गई थी, उस समय से ही मान लिया गया था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने की स्थिति में उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
पार्टी में कुछ ऐसे नामों की भी चर्चा जारी है, जो पहली बार विधायक बने हैं.
लेकिन एक बड़ा वर्ग मान कर चल रहा है कि अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर पार्टी किसी ऐसे ही नेता को मुख्यमंत्री या दूसरा महत्वपूर्ण पद देगी, जिसके भरोसे लोकसभा की नैय्या पार हो पाए.