मोहन यादव मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के मुखिया होंगे. उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. उन्हें बीजेपी के नए चुने गए विधायकों का नेता चुनने का प्रस्ताव शिवराज सिंह चौहान ने रखा. मोहन यादव अब तक शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री थे.
भारतीय जनता पार्टी को हालिया विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई है. बीजेपी ने राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से 163 पर जीत हासिल की है. चुनाव के वक़्त शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे और बीजेपी को मिले बड़े बहुमत के बाद उन्हें ही सीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था.
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतारा था. ये सभी विधायक चुने गए तो इनके नाम भी सीएम दावेदारों के तौर पर चलने लगे.
बीजेपी विधायकों की सोमवार को भोपाल में हुई बैठक के दौरान तक मोहन यादव का नाम चर्चा में नहीं था.
मीटिंग में क्या हुआ?
बैठक में क्या हुआ इसकी जानकारी मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने दी.
वीडी शर्मा ने बताया, “शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव का नाम प्रस्तावित किया. नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल समेत सभी वरिष्ठ नेताओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया.”
मोहन यादव का नाम प्रस्तावित करने वाले सभी नेताओं के नाम मुख्यमंत्री दावेदारों के तौर पर चल रहे थे.
शिवराज सिंह चौहान बीते तीन कार्यकाल से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जबकि नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल केंद्र में मंत्री थे. विधायक चुने जाने के बाद तोमर और पटेल ने संसद सदस्यता छोड़ दी.
मोहन यादव पर दांव खेलने का फ़ायदा?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने मोहन यादव को सीएम चुनकर कई हित साधने की कोशिश की है.
बिहार में जातिगत सर्वे के नतीजे सामने आने के बाद से विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ और कांग्रेस पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जातियों की हिस्सेदारी का मुद्दा उठा रही है.
शिवराज सिंह चौहान ओबीसी से हैं और उनकी जगह लेने वाले मोहन यादव भी ओबीसी से ही आते हैं. जानकारों का कहना है कि उनकी नियुक्ति के जरिए बीजेपी की नज़र बिहार और उत्तर प्रदेश पर भी है.
जानकारों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान के लगातार सीएम रहने से सरकार के ख़िलाफ़ जो एंटी इन्क्बैंसी बनी, नया चेहरा लाकर बीजेपी उसे थामने की कोशिश में है.