ज़िम्बाब्वे की सरकार ने कहा है कि वो देश में मृत्यु दंड की सज़ा ख़त्म करने जा रही है.
सूचना मंत्री जेनफैन मुसवेरे ने बताया कि राष्ट्रव्यापी सलाह मशविरे के बाद इस सज़ा को ख़त्म करने का फ़ैसला लिया गया है.
ज़िम्बाब्वे में पिछले 20 सालों में किसी भी व्यक्ति को फांसी नहीं दी गई है.
माना जा रहा है कि इस फ़ैसले के बाद ऐसे क़ैदियों की सज़ा अब तकनीकी रूप से आजीवन कारावास में बदल जाएगी. हालांकि मृत्यु दंड से जुड़े क़ानून में ये बदलाव किस तारीख से प्रभावी होगी, इस पर सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है. राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा ज़िम्बॉब्वे में मृत्यु दंड की सज़ा के मुखर विरोधी रहे हैं.
साठ के दशक में देश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान उन्हें भी मृत्यु दंड दिया गया था लेकिन बाद में उनकी सज़ा कम कर दी गई.
ज़िम्बाब्वे के स्वाधीनता संघर्ष के दौरान एमर्सन मनांगाग्वा को एक ट्रेन में विस्फोट करने के लिए कसूरवार ठहराया गया था.