छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की जेल में सौ साल पहले जन्मी थी, माखनलाल चतुर्वेदी के जेहन, कंठ – कलम से कविता – पुष्प की अभिलाषा !

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की जेल में सौ साल पहले जन्मी थी, माखनलाल चतुर्वेदी के जेहन, कंठ – कलम से कविता – पुष्प की अभिलाषा !

इस कविता के रचयिता कवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी 8 महीने तक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की जेल में कैद रहे हैं , उसी दौरान इस कविता की रचना हुई !

  आज़ादी के आंदोलन के दौरान बिलासपुर के शनिचरी मैदान में एक विशाल आम सभा हुई थी, जहाँ पंडित माखनलाल चतुर्वेदी जी ने ऐलान किया था, कि भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की बत्ती जल्द गुल होगी और आजादी का सूर्योदय होगा। इस ऐलानी भाषण के बाद तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ़्तार कर बिलासपुर कारागृह में बंद कर दिया। चतुर्वेदी जी 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 तक लगभग 8 महीने बिलासपुर के सेन्ट्रल जेल में निरुद्ध रहे हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के ग्राम बाबई में हुआ था। उनका निधन 30 जनवरी 1968 को हुआ।  
लगभग 100 वर्ष पहले की इस   बेहद लोकप्रिय कविता की अमिट पंक्तियों को आइए एक बार फिर मन ही मन गुनगुनाएं --

चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर परचढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमालीउस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक

Uncategorized