पश्चिम बंगाल में ‘आधार कार्ड डिएक्टिवेट’ करने के आरोप का विवाद क्या है?

पश्चिम बंगाल में ‘आधार कार्ड डिएक्टिवेट’ करने के आरोप का विवाद क्या है?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के ज़रिए कहा है कि उनके राज्य में लोगों के आधार कार्ड “अचानक डिएक्टिवेट” किए जा रहे हैं.

ममता ने कहा कि जिन लोगों के आधार कार्ड डिएक्टिवेट किए गए हैं, उनमें ज़्यादातर लोग एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह लोगों के दस्तावेज़ को “डिएक्टिवेट” करना नियमों का और न्याय का घोर उल्लंघन है.

प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली स्थित आधार के दफ़्तर ने बिना कोई ज़मीनी स्तर की जांच किए और राज्य सरकार को सूचित किए बिना सीधे लोगों को सूचना दी कि आधार नियामक 2016 के नियम 28ए के तहत आधार कार्ड डिएक्टिवेट किए जा रहे हैं.

उन्होंने पीएम को लिखा, “मैं आपके ध्यान में पश्चिम बंगाल में लोगों, विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदायों के आधार कार्ड को अंधाधुंध डिएक्टिवेट करने की गंभीर घटना लाना चाहती हूँ.”

“इस घटना ने लोगों के बीच अराजकता और डर पैदा कर दिया है, बड़ी संख्या में लोग अपनी शिकायतों के निवारण के लिए ज़िला प्रशासन का रुख़ कर रहे हैं.”

इससे पहले ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लाने से पहले राज्य में आधार कार्ड को “डिएक्टिवेट किया जा रहा है”.

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि “उम्मीद है कि मतुआ और एससी-एससटी समुदाय के लोग ये समझ रहे हैं कि बीजेपी का गेम प्लान क्या है. मैं साफ़ कर देना चाहती हूं कि मैं बंगाल में एनआरसी और डिटेंशन कैंप की इजाज़त कभी नहीं दूंगी.’

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