विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत करते हुए आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले कांग्रेस के बड़े नेताओं की घर वापसी के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। कांग्रेस के बागियों को लोकसभा वार जवाबदारी के लिए समितियों के गठन की तैयारियां पूरी कर ली गई है।
विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत करते हुए आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले कांग्रेस के बड़े नेताओं की घर वापसी के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। कांग्रेस के बागियों को लोकसभा वार जवाबदारी के लिए समितियों के गठन की तैयारियां पूरी कर ली गई है। वजह यह है कि बागियों ने माफीनामा लिखकर देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने फिलहाल छह सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, वहीं बाकी पांच सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होना बाकी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक विवादों से घिरे रहने वाले पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने भी माफीनामा लिखकर दे दिया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए पूर्व उप मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया था। विधानसभा में प्रदेश प्रभारी रही कुमारी सैलजा पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। प्रदेश में कांग्रेस की रणनीति यह है कि लोकसभा चुनाव के पहले न सिर्फ बागियों की वापसी होगी, बल्कि उन्हें संसदीय क्षेत्र में चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी देने की रणनीति पार्टी ने बनाई है,ताकि एकजुटता दिखाई जा सके।
भीतरघात से लेकर पाला बदलने का डर
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पाला बदलने व भीतरघात के डर से कांग्रेस अब अपने पुराने नेताओं को साधने में लगी हुई है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए थे। पार्टी ने बृहस्पत सिंह को छह वर्ष के लिए निलंबित किया है, वहीं पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल का निलंबन दो दिन पहले वापस लिया गया है। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने माफीनामा पर कहा है कि आरोप लगाने वाले कांग्रेस के नेताओं ने अपनी गलती स्वीकार की है। इसलिए उनका निलंबन वापस लिया जा रहा है।
माफी मांगने पर कहा- आवेश में हुई गलती
मनेंद्रगढ़ के पूर्व कांग्रेसी विधायक डा. विनय जायसवाल ने आरोप-प्रत्यारोप और माफी मांगने के मामले पर मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि आवेश में उन्होंने कुछ बातें कह दी थी। अब उन्हें गलती का अहसास है। विधानसभा में प्रत्याशी न बनाए जाने से नाराज होने की वजह से आवेश में आकर आरोप लगा दिए थे।
अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव प्रचार
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान 50 से अधिक बागी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। इसमें कई नेताओं ने प्रत्याशी घोषित होने के तुरंत बाद पार्टी के खिलाफ काम करना शुरू कर दिया था। अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव प्रचार के मामले में इन नेताओं को छह वर्ष के लिए निष्कासित किया गया है।
अजित कुकरेजा ने भरा था निर्दलीय नामांकन
पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर नाराज राजधानी के पार्षद व अजीत कुकरेजा ने भी पार्टी के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया था। रायपुर उत्तर से वे पार्टी प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा के खिलाफ मैदान पर उतरे। निर्दलीय नामांकन दाखिल किया। इनके समर्थकों के मुताबिक 15 साल तक जुड़े रहने के बाद भी पार्टी ने उन्हें रायपुर से उत्तर से उम्मीदवार नहीं बनाया। नतीजतन बगावत की राह चुननी पड़ी। अब फिर से पुराने नेताओं से नजदीकियां बनाई जा रही है।