सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण की ओर से दूसरी बार मांगी गई माफ़ी को भी अस्वीकार कर दिया है.
ये सुनवाई पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर हो रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक टाल दी है.
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, ‘’हम माफ़ीनामे से संतुष्ट नहीं हैं.’’
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण की माफ़ी को अस्वीकार करते हुए हलफ़नामा दाख़िल कर अदालत की अवमानना मामले में जवाब देने को कहा था.
कोर्ट ने कहा था कि रामदेव के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए?
दोनों मामलों में आज यानी बुधवार को सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रामदेव और बालाकृष्ण के दूसरी बार दिए हलफ़नामे पर कहा, “हमें दरियादिल नहीं बनना है.”
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर एक्शन ना लेने के लिए उत्तराखंड सरकार को भी फटकार लगाई.
कोर्ट ने कहा, “क़ानून के तहत कार्रवाई करने की बजाय राज्य की लाइसेंस अथॉरिटी केंद्र को ये सूचित करती रही कि उसने दिव्य फार्मेसी को चेतावनी दी है.”
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को लेकर नाराज़गी जताई थी.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामदेव और बालकृष्ण से कहा था, “आपको न्यायालय में दिए गए वचन का पालन करना होगा, आपने हर सीमा तोड़ी है.”
अदालत ने इस बात पर भी हैरत जताते हुए कहा था ‘‘जब पतंजलि कंपनी पूरे ज़ोर-शोर से यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है, तब केंद्र ने अपनी आंखें बंद क्यों रखीं.’’