सारण से पहली बार चुनावी मैदान में लालू प्रसाद की बेटी

सारण से पहली बार चुनावी मैदान में लालू प्रसाद की बेटी

दो बार के केंद्रीय मंत्री से होगा मुकाबला

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपनी किडनी देकर नया जीवन देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य अब पिता का गढ़ सारण जीतकर सियासी विरासत लौटाना चाहती है। लालू पहली बार सारण से ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। रोहिणी पिता की सीट सारण से अपने सियासी जीवन की शुरुआत करने मैदान में हैं। पिछले दो बार से यह सीट भाजपा के पास है और फिलहाल राजीव प्रताप रूडी यहां से सांसद हैं।

2008 के परिसीमन के बाद से सारण सीट को छपरा के नाम से भी जाना जाता है। यहां पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है। सारण लालू का गढ़ रहा है और यहां के ग्रामीण क्षेत्र में उनके समर्थकों की बड़ी संख्या है। यही कारण है कि जब रोहिणी पहली बार क्षेत्र के दौरे पर गईं तो भरी धूप में भी भीड़ उमड़ी। अब देखना यह है कि दर्शन को जमा हुई भीड़ वोट में तब्दील हो संसद का रास्ता तय करवाएगी या गांवों की खस्ताहाल सड़क की तरह रोहिणी का सपना ध्वस्त होगा।

सारण में हार चुके हैं लालू यादव, पत्नी और समधी

लालू प्रसाद खुद 1996 में सारण सीट राजीव प्रताप रूडी से हार चुके हैं। इसके बाद 2014 में पत्नी राबड़ी देवी और 2019 में समधी चंद्रिका राय सारण से सांसदी का चुनाव हार चुके हैं। रूड़ी का मुकाबला हर बार लालू के परिवारीजनों से हुआ है। ऐसे में दो बार के केंद्रीय मंत्री को यहां से हराना रोहिणी के लिए बड़ी चुनौती होगा।

जातीय समीकरण : यादव वोट सबसे अधिक

यादवों की आबादी 25 फीसदी है, जबकि राजपूत 23 फीसदी हैं. इनके अलावा सारण में वैश्य वोटर 20 प्रतिशत, मुस्लिम 13 प्रतिशत और दलित 12 प्रतिशत हैं।

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