भारत के राजनीतिक धरातल से लेकर क्षितिज तक सबकी कमीज से मेरी कमीज सबसे उजली, सबसे मसाफ दिखाने के लिए सत्ता प्रतिष्ठान हर जायज़ – नाजायज़ कदम उठा रहा है। भ्रमित राजा कमीज उजली दिखाने के लिए उछल – कूद करने में मशगूल हैं जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टाॅरल बाण्ड के राष्ट्रवादी गुब्बारे को पंचर कर देश के सामने उसे वस्त्रहीन कर दिया है।
इस बेमेल, बेसूरे, बेढंगे संगीत के संध्या ( संध्या के बाद सूर्यास्त हो जाता है ) समारोह के साजिन्दे ईडी, सीबीआई, आईटी, सीईसी, पुलिस, इलेक्टोरल बाण्ड के राग भी अब बसियाने लगे हैं।
बहरहाल हम्माम में सब नंगे हैं !
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, वित्त अधिनियम, आयकर अधिनियम, जनसूचना अधिकार अधिनियम को खण्डित कर सत्ता अपने सपनों की महल इलेक्टोरल बाण्ड की रचना किया था। अंतहीन – अकूत सम्पत्ति भाजपा मिला, टीएमसी, कांग्रेस क्षेत्रीय दल भी कहां इससे अछूते हैं। तथ्यात्मक रूप से सारे दस्तावेज और अभिलेख आलाप गाकर कह रहे हैं, जैसे ही ईडी का छापा पड़ता वैसे ही इलेक्टोरल बाण्ड नामक गुप्त चंदे का धंधा आसमान छूने लगता है।
करदाताओं के प्रत्यक्ष कर, गरीब मजलूमों के अप्रत्यक्ष कर से सत्ता के स्थायित्व के लिए विज्ञापन, प्रचार और चेहरे चमकाने के साधन - सुविधा का इन्तजाम किया जाता है।
सलाम – ए – सुबह …
23 मार्च 2024