हाई कोर्ट के आदेश के दो महीने विलंब से याचिकाकर्ता को मिली राहत

हाई कोर्ट के आदेश के दो महीने विलंब से याचिकाकर्ता को मिली राहत

कोर्ट ने अफसरों के खिलाफ जुर्माना करने से इन्कार कर दिया है।आरएन सनमानी ने अपनी याचिका में कहा है कि जिला-कोरिया से 31 जुलाई 2017 को डिप्टी कलेक्टर पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के पश्चात उनके विरुद्ध लंबित विभागीय जांच का हवाला देकर उनके अधिकांश सेवानिवृत्ति देयक को रोक दिया।

अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि आदेश के तकरीबन दो महीने विलंब से याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण कर दिया गया है।

अधिकारियों के जवाब के बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में सचिव राजस्व विभाग, कमिश्नर एवं कलेक्टर सरगुजा के खिलाफ जुर्माना लगाने की मांग की थी।

कोर्ट ने अफसरों के खिलाफ जुर्माना करने से इन्कार कर दिया है।आरएन सनमानी ने अपनी याचिका में कहा है कि जिला-कोरिया से 31 जुलाई 2017 को डिप्टी कलेक्टर पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के पश्चात उनके विरुद्ध लंबित विभागीय जांच का हवाला देकर उनके अधिकांश सेवानिवृत्ति देयक को रोक दिया।

20 जुलाई 2022 को विभागीय जांच में दोषमुक्त कर दिया गया। दोषमुक्ति के एक वर्ष तीन माह पश्चात् भी सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान नहीं किया गया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 60 दिनों के भीतर प्रकरण का निराकरण करने के निर्देश राज्य शासन को दिए थे।

निर्धारित समयावधि में हाई कोर्ट के आदेश का पालन ना होने पर याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से अवमानना याचिका दायर की। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने पैरवी करते हुए कहा कि वर्तमान में याचिकाकर्ता की उम्र 68 वर्ष है।

छत्तीसगढ़ राज्य में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हाई कोर्ट के आदेशों का निर्धारित समयावधि में पालन ना कर लगातार कोर्ट के आदेशों की अवमानना की जा रही है। अधिकांश सीनियर सिटीजन को उनके जीवनकाल में न्याय नहीं मिल पा रहा है। हाई कोर्ट में लगातार अवमानना याचिका पेश कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

अधिवक्ता पांडेय ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में नीलम नामदेव एक्का (सचिव, राजस्व विभाग), महावीर राम (डिप्टी कमिश्नर, सरगुजा) एवं विनय कुमार लांगे (कलेक्टर, कोरिया) के विरुद्ध जुर्माना लगाने एवं कार्रवाई की मांग की। मामले की सुनवाई एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ जुर्माना से इन्कार कर दिया। कोर्ट के निर्देश के चार महीने बाद राज्य शासन ने प्रकरण का निराकरण कर दिया था। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया है।

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