देशभर में एक जुलाई का दिन सबसे खास होने वाला है। दंड का अंत और न्याय का आरंभ होगा। भारतीय दंड संहिता (आइपीएसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावशील हो जाएगा।
कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.सतीश तिवारी बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में 511 धाराएं हैं, जिन्हें भारतीय न्याय संहिता से बदला जा रहा है। इसमें 358 धाराएं होंगी। विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और 19 धाराओं को हटा दिया गया है। इनमें से 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है, जबकि 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है।
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है। इसी तरह से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (531 धाराओं के साथ) सीआरपीसी की जगह लेगी। बिल में कुल 177 प्रविधानों को बदला गया है और इसमें नौ नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं। भारतीय साक्षक्ष्य अधिनियम में मूल 167 के स्थान पर 170 प्रविधान होंगे। दो नए प्रविधान और छह उपप्रविधान जोड़े गए हैं और छह प्रविधानों को हटाया गया है।
नए कानून में यह खास
01 संगठित अपराध: संगठित अपराध को रोकने के लिए 111 सेक्शन बनाए गए हैं, जिससे अपराधियों को सजा मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
02 साइबर फ्राड: साइबर फ्राड को रोकने के लिए भी प्रविधान किए गए हैं और आम जनता से अनजाने फोन काल को तुरंत रिएक्ट न करने की अपील की गई है।
03 महिला सुरक्षा: दुष्कर्म पीड़ित महिला के प्रकरण की सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी और लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी परिभाषित किया गया है।
04 आनलाइन एफआइआर: नए कानून में आनलाइन एफआइआर और जियो एफआइआर की भी सुविधा दी गई है।
देशभर में एक जुलाई का दिन सबसे खास होने वाला है। दंड का अंत और न्याय का आरंभ होगा। भारतीय दंड संहिता (आइपीएसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावशील हो जाएगा।
कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.सतीश तिवारी बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में 511 धाराएं हैं, जिन्हें भारतीय न्याय संहिता से बदला जा रहा है। इसमें 358 धाराएं होंगी। विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और 19 धाराओं को हटा दिया गया है। इनमें से 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है, जबकि 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है।
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है। इसी तरह से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (531 धाराओं के साथ) सीआरपीसी की जगह लेगी। बिल में कुल 177 प्रविधानों को बदला गया है और इसमें नौ नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं। भारतीय साक्षक्ष्य अधिनियम में मूल 167 के स्थान पर 170 प्रविधान होंगे। दो नए प्रविधान और छह उपप्रविधान जोड़े गए हैं और छह प्रविधानों को हटाया गया है।
नए कानून में यह खास
01 संगठित अपराध: संगठित अपराध को रोकने के लिए 111 सेक्शन बनाए गए हैं, जिससे अपराधियों को सजा मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
02 साइबर फ्राड: साइबर फ्राड को रोकने के लिए भी प्रविधान किए गए हैं और आम जनता से अनजाने फोन काल को तुरंत रिएक्ट न करने की अपील की गई है।
03 महिला सुरक्षा: दुष्कर्म पीड़ित महिला के प्रकरण की सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी और लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी परिभाषित किया गया है।
04 आनलाइन एफआइआर: नए कानून में आनलाइन एफआइआर और जियो एफआइआर की भी सुविधा दी गई है।