बीजेपी और कांग्रेस में फर्क यह है कि कांग्रेस नेता बड़े जीवट होते हैं, विपरीत परिस्थितियों में भी सीना तानकर खड़े रहने वाले। देख ही रहे हैं, पराजय के बाद भी सरकार पर हमला बोलने में कांग्रेस नेता पीछे नहीं। जिन विधायकों पर कई आरोप, वे भी दहाड़ रहे। जबकि, 2018 में जब बीजेपी की करारी पराजय हुई थी, मंत्री समेत सारे नेताओं की बिल में घुसने जैसी स्थिति थी। कई नेताओं का तो अगले विधानसभा चुनाव तक मुंह नहीं खुला। सभी डरे-सहमे सिमटे रहे… कहीं कुछ बोल दिया और फाइल खुल गई तो फिर क्या होगा? आखिरी समय में राजेश मूणत ने कुछ तेवर दिखाने की कोशिश की तो रायपुर पुलिस ने उनके साथ क्या किया, मूणतजी ही जानते हैं… उनके लिए रमन सिंह को थाने जाना पड़ गया। मगर अब तो सरकार बन गई है… 10 मंत्री भी हैं लेकिन अधिकांश मंत्री पता नहीं क्यों… डिफेंसिव और बैकफुट पर…। इसके उलट कांग्रेस 2003 से लेकर 2018 तक याने 15 साल सत्ता से बाहर रही… बावजूद इसके, अंदरखाने में भले ही बीजेपी नेताओं के साथ गलबहियां करते करते रहे हो मगर पब्लिक के बीच हमेशा तने रहे। अलबत्ता, इस समय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सरकारी निवास में पोस्टर-बैनर लगाए गए है,काबर चिंता करथस… कका अभी जिंदा हे। बलौदा बाजार की पुलिस विधायक देवेंद्र यादव को पूछताछ के लिए इंतजार कर रही थी। और देवेंद्र मीडिया को दमदारी के साथ बयान दे रहे थे। इसे ही बोलते हैं जीवटता। बीजेपी के मंत्रियों को भी अब खोल से बाहर निकलना चाहिए।