साहब मोतीपुर रेल्वे क्रासिंग के बंद होने से हम आम आबादी से कट गये है, हम बे – वतन से हो गये है……

साहब मोतीपुर रेल्वे क्रासिंग के बंद होने से हम आम आबादी से कट गये है, हम बे – वतन से हो गये है……

गरीबों के नुकसान के बगैर एवं जरूरत के अनुसार मीनी अण्डरब्रिज निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है !*

दिनांक 17 जुलाई 2024 को मौके पर पहुंचकर सासंद श्री संतोष पाण्डेय ने रेल्वे अधिकारियों को निर्माण पूर्व की आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए निर्देशित किया।

नागरिक संघर्ष समिति मोतीपुर – तुलसीपुर – रामनगर, दिसम्बर 2021 से रेल्वे क्रासिंग बंद के विरोध में एक मुहीम की शुरूआत कर दिया था।

26 जनवरी 1973 को राजनांदगांव जिला बना। हमारे राजनांदगांव जिला के पहले जिलाधीश अरूण क्षेत्रपाल और पुलिस कप्तान रामलखन सिंह यादव थे। शुरुआत में जिला प्रशासन का संचालन सुविधा के अनुसार पुराने भवनों में किया जाता रहा है। पहले जिला कार्यालय फिर बाद में जिला न्यायालय भवन का निर्माण किया गया है। कलेक्ट्रेट एवं औद्योगिक क्षेत्र के विकास के फलस्वरूप ममतानगर मार्ग विकसित हुआ है। ममतानगर के विकास के साथ जनश्रुति यह थी, कि एक दिन यही रास्ता बालाघाट पहुंच मार्ग बनेगा और मोतीपुर रेल्वे क्रासिंग बंद कर दी जायेगी।

नागरिक संघर्ष समिति ने डीआरएम नागपूर के समक्ष रेल्वे क्रासिंग मोतीपुर को बंद नही करने का मांग करते हुए 5 जनवरी 2022 को 21 हजार लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंप था।

मध्य दिसम्बर 2021 से नागरिक संघर्ष समिति ने चौकी बंद किये जाने के विरोध में आमजनों की ओर से हस्ताक्षर अभियान चलाया। हस्ताक्षर अभियान को अपेक्षित सफलता मिली, रेल्वे प्रशासन, जिला प्रशासन, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के समक्ष नागरिक संघर्ष समिति द्वारा रेल्वे क्रासिंग बंद होने से उत्पन्न व्यथा – कथा को प्रस्तुत किया गया। यहां यह बताना हम अपना सामाजिक दायित्व समझते हैं, रेल्वे क्रासिंग को बंद नही करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह ने डीआरएम नागपूर को 28 दिसम्बर 2021 एवं 15 अप्रैल 2022 को पत्र लिखकर एवं डीआरएम श्री मोनिन्दर उप्पल से दूरभाष के माध्यम से चर्चा किया। श्री संतोष पाण्डेय सांसद राजनांदगांव ने दिनांक 6 दिसम्बर 2021 एवं 15 अप्रैल 2022 को रेल्वे क्रासिंग बंद नही करने की अपील करते हुए पत्र लिखा। पूर्व सांसद श्री मधुसूदन यादव ने डीआरएम को 6 दिसम्बर 2021 एवं 2 अप्रैल 2022 को तदाशय से पत्र लिखा।

मोतीपुर रेल्वे क्रासिंग क्रमांक 461 ( चौकी ‌) के बंद होने से प्रभावित होने वालों को बिना कोई पूर्व सूचना या लिखित जानकारी दिये बगैर रेल विभाग के अनुभाग अभियंता (W) दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे डोंगरगढ़ के पत्र क्रमांक SSE/W/DGG/LC दिनांक 24 मार्च 2022 जारी कर 27 मार्च 2022 को रेल प्रशासन ने गुरिल्ला शैली में मध्यरात्रि को समपार क्रमांक 461 ( मोतीपुर रेल्वे चौकी ) को सदा के लिए बंद कर दिया।

18 अप्रैल 2022 को मदन यादव ( मोन्टू ) की। अगुवाई में गजाधर सिंह ( मधु मेडिकल ) हीरावर्मा, शहीद खान, शेख अन्सार डीआरएम श्री मोनिन्दर उप्पल से डीआरएम कार्यालय नागपूर में बंद रेल्वे क्रासिंग मोतीपुर को खोलने हेतु मुलाकात किये !

नागरिक संघर्ष समिति दिनांक 18 अप्रैल 2022 को लगभग 12 बजे डीआरएम कार्यालय नागपूर पहुंची। रेल्वे क्रासिंग बंद होने के बाद की परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए समिति ने पहले ही डीआरएम को सम्बोधित करते हुए एक पत्र बना लिया था, आवक – जावक में प्रस्तुत कर पावती प्राप्त किये। डीआरएम कार्यालय के अधीक्षक श्री रमेश कुमार जम्मू से मिले क्योंकि इस दौरान डीआरएम कार्यालय के स्टाफ ज्ञात हो गया था, कि डीआरएम साहब से मुलाकात का कार्यक्रम अधीक्षक साहब ही निर्धारित करते हैं। अधीक्षक साहब ने हमें अपराह्न बाद 4 बजे का समय दिया गया। करीब – करीब 6 बजने वाले थे डीआरएम श्री मोनिन्दर उप्पल साहब इन्टरकाॅम के माध्यम से अधीक्षक से कहा कि राजनांदगांव की टीम को अन्दर भेजिए। अधीक्षक रमेश कुमार जम्मू साहब ने बताया कि डीआरएम साहब अत्यधिक व्यस्त हैं, अतः आप लोगो से केवल दो मिनट ही चर्चा कर पायेंगे। हम डीआरएम साहब के सामने थे – डीआरएम साहब हमारे अभिवादन का उत्तर देते – देते सपाट शब्दों में कहा आप लोगों को अपनी बात दो मिनट में रखनी है।

हमने अपने लिखित आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेज को उनकी ओर बढ़ाया। डीआरएम साहब कोरोना काल होने के कारण शीशे के कवचनुमा घेरे में बैठे थे। पत्र को पढ़ने के बाद उनके देहभाष्य ( Body Language ) से जो हमें अनुभूति हुई कि उनकी हड़बड़ी में तनिक स्थिरता आई है। हमारी ओर से पहला वाक्य यह बोला गया, साहब रेल्वे क्रासिंग के बंद होने से हम आम आबादी से कट गये है, हम बे – वतन से हो गये है। हमारा यह वाक्य जो हमारी व्यथा थी, लेकिन उनकी शख्सियत में ब्रह्म वाक्य की तरह कानों से दाखिला लेकर समूचे शरीर में समा गया। टाईम तो उन्होंने घोषित किया था, दो मिनट लेकिन हमारी चर्चा मुसलसल 49 मिनट अविराम चली।

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