छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही कल (23 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी गई है। पहले दिन बलौदाबाजार हिंसा, जमीन पट्टे में गड़बड़ी, शिक्षकों की कमी के साथ अयोध्या में बेर ले जाने के मुद्दे पर भी जमकर हंगामा हुआ।
मानसून सत्र के पहले दिन बलौदाबाजार हिंसा पर विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाने की मांग की। इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि ये स्थगन स्वीकार करने लायक नहीं है, क्योंकि इसकी न्यायिक जांच चल रही। इसके बाद भूपेश बघेल ने चर्चा की मंजूरी देने के लिए नियम पढ़कर भी सुनाया।
वहीं शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने मंत्रियों के अयोध्या दौरे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अभी बेर का सीजन ही नहीं है, न शिवरीनारायण और न रायपुर में बेर मिल रहे तो कहां से लेकर अयोध्या गए। बीजेपी के सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया।
राम वनगमन पथ का मुद्दा
महंत ने आगे राम वन गमन प्रोजेक्ट पर सवाल किया। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ में रामजी के जहां-जहां चरण पड़े थे, ऐसे 75 स्थानों का चयन हमारी सरकार ने किया था। साथ ही दस स्थानों पर काम भी शुरू किया था। भाजपा की सरकार आने के बाद सात महीनों में क्या किसी भी स्थान में एक ईंट भी रखी गई?
इस पर राजेश मूणत ने कहा कि जनता ने आपको बता दिया कि छत्तीसगढ़ में क्यों हारे। इस पर महंत ने पलटवार करते हुए कहा कि, इसीलिए अयोध्या, प्रयागराज हारे हैं आप लोग।
- शिक्षकों की कमी का मुद्दा
रायपुर विधायक मोतीलाल साहू ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से पूछा कि, मेरे क्षेत्र में शिक्षकों के 1954 पद रिक्त हैं। रायपुर ग्रामीण इलाके में हायर सेकेंडरी तक स्कूल हैं जहां अधिकांश में शिक्षकों की कमी है। माना कैंप का हिंदी मीडियम स्कूल है जहां पर छठवीं से आठवीं तक के लिए दो शिक्षक हैं। वहीं 9वीं से लेकर 12वीं तक के लिए तीन शिक्षक हैं। शिक्षकों की कमी के कारण गरीब बच्चों के
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसके जवाब में कहा कि, मैं सदस्य की चिंता से सहमत हूं लेकिन पूरे प्रदेश में देश का जो औसत है वह 26 स्टूडेंट में 1 शिक्षक है, वहीं छत्तीसगढ़ का औसत 21 स्टूडेंट में 1 शिक्षक है। देश के मुकाबले छत्तीसगढ़ का औसत फिर भी ठीक है।
साथ ही सीएम ने कहा कि, प्रदेश में करीब 300 स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक नहीं स्कूल है। तो इसके लिए युक्तियुक्तकरण (जहां अधिक टीचर होंगे वहां से कम टीचर वाले स्कूल में भेजा जाएगा) की प्रक्रिया कर रहे हैं। इसके बाद शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आगे करेंगे।
जमीन के पट्टों में गड़बड़ी का मुद्दा
विधायक जनक ध्रुव ने जमीन के पट्टों में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। उन्होंने गरियाबंद के मैनपुरी में आदिवासी परिवार को जमीन का पट्टा देने के मामले में सरपंच और सचिव के फर्जी साइन होने की बात कही। साथ ही विधायकों की समिति बनाकर जांच की मांग रखी।
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि कलेक्टर ने जांच की थी, कुछ भी ऐसे नहीं पाया गया। इसके बाद इस शिकायत को हटा दिया गया। इस पर ध्रुव ने कहा कि, जानकारी देने वाले अफसरों ने मंत्री और इस सदन को गुमराह किया है।
जवाब में मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि ये कांग्रेस शासनकाल का मुद्दा है, विधायक के पास जो भी तथ्य हैं हमें उपलब्ध करवाइए हम जांच कर लेंगे। ये सुनकर कांग्रेस के विधायक नाराज हुए। उमेश पटेल ने कहा कि यहां फर्जी साइन की बात हो रही है। इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर साइन कहां से हो गई।
सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर हाल ही में हुए नेताओं के निधन पर दुख व्यक्त किया।
जमीन पट्टे के मुद्दे पर चर्चा के बीच भूपेश बघेल भी उठ खड़े हुए, उन्होंने कहा कि ये मामला दिसंबर 2018 का है। उस दौरान हमारी सरकार नहीं थी भाजपा की थी और सरकार चाहे किसी की भी हो जांच तो होनी चाहिए। डॉ रमन सिंह ने कहा- मंत्री कह चुके हैं कि तथ्य उपलब्ध करवा दीजिए देख लेंगे।
इसके बाद जगदलपुर विधायक किरण देव ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा का सवाल उठाया, हालांकि तब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल का समय खत्म हो चुका था। इस पर डॉक्टर रमन सिंह ने प्रश्नकाल समाप्त होने की घोषणा कर दी।