धर्मेन्द्र प्रधान हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स का अनुसरण करते हुए क्या लोकसभा में झूठ बोले रहे हैं……

धर्मेन्द्र प्रधान हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स का अनुसरण करते हुए क्या लोकसभा में झूठ बोले रहे हैं……

9 जून 2024 को राष्ट्रपति भवन के सभागार में अत्यंत गरिमापूर्ण वातावरण में अतिविशिष्ट व्यक्ति, राजनेताओं, की उपस्थिति में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धर्मेन्द्र प्रधान को केन्द्रीय मंत्रीपद का शपथ दिलाया।*

मैं धर्मेन्द्र प्रधान पिता श्री देबेन्द्र प्रधान ईश्वर की शपथ लेता हूं, कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की सम्प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा। मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा। तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा – धर्मेन्द्र प्रधान

22 जुलाई 2024 को शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स का अनुसरण करते हुए लोकसभा में झूठ बोले !

22 जुलाई 2024 को बजट सत्र के शून्यकाल में केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान विपक्षी सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते समय जो कहा उसे देख – सून कर आश्चर्य के सागर में डूब गये। करीब 40 लाख विद्यार्थी शर्मिंदगी से अपना सर झूका लिये, और सोचने लगे यह है, हमारे देश भारतवर्ष का शिक्षामंत्री जो देश की सबसे बड़ी पंचायत में खड़े होकर झूठ को इतनी जोर से बोल रहे थे मानो जोर से बोलने के कारण झूठ सच हो जायेगा। हिन्दी – अंग्रेजी के अपने मिश्रित व्यक्तव्य में शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यहां तक कह डाला कि 7 वर्षो में सरकार के पास पेपर लीक होने का कोई प्रमाण नही है। भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय माता – पिता, अभिभावकों के सपने को तो चूर – चूर कर ही दिया, अभ्यर्थियों, परीक्षार्थियों, विद्यार्थियों के भविष्य के साथ अपराधिक खिलवाड़ किया है।

जिस समय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान लोकसभा में पेपर लीक पर झूठ बोल रहे थे, उसी समय सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संविधान के आलोक में विद्यार्थियों के जीवन में छाये पेपर लीक के घटाटोप अंधेरे का समाधान निकाल रहे थे।

धर्मेन्द्र प्रधान कहते हैं, पेपर लीक का प्रमाण नही है। आपके मातहत की जांच एजेंसी सीबीआई ने जांचकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( All India Institute of Medical sciences ) पटना के चार डाॅक्टर्स को पेपर लीक में संलिप्त मानकर गिरफ्तार कर लिया है। इनमें तीन डॉक्टर चंदन सिंह, डॉक्टर कुमार शानू और डॉक्टर राहुल आनंद ये तीनों डॉक्टर्स 2021 बैच के मेडिकल स्टूडेंट्स हैं, जबकि डॉक्टर करण जैन सेकेंड ईयर का स्टूडेंट है। सीबीआई ने इन चारों डॉक्टरों का कमरा भी सील कर दिया है और इनका लैपटॉप और मोबाइल फोन भी जब्त किया गया है।

4 मई 2024 को पेपर लीक से संबंधित यह चौथा एफआईआर दर्ज हुआ है। इसके पहले तीन एफआईआर 2018, 2021एवं 2022 में धर्मेन्द्र प्रधान साहब के शासनकाल में ही दर्ज हुआ था।

यह एफआईआर कोई विध्न असंतोषी या विरोधियों ने नही बल्कि आपकी सीबीआई ने किया है। जहां तक आपका कथन है कि पेपर लीक का कोई प्रमाण सरकार के पास नही है यह बेहद दर्जे का आश्चर्यपूर्ण कथन हैं, आशा है इस बार सर्वोच्च न्यायालय सरकार को प्रमाणो की फेहरिस्त सौंपेगी।

किसी भी प्रकार के घटित अपराध का प्रमाण सरकार के पास न होना यह अभियोजन की कमी – कमजोरी है, फलत: अपराधी साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त हो जाते हैं। एनसीआरबी के अनुसार अधिकांश मामलों में अभियोजनपक्ष सरकार ही होती है।

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