लैंको अब हुआ अदाणी पावर प्लांट, हस्तांतरण की प्रक्रिया पूर्ण

लैंको अब हुआ अदाणी पावर प्लांट, हस्तांतरण की प्रक्रिया पूर्ण

कोरबा : लैंको पावर प्लांट अब पूरी तरह से अदाणी पावर लिमिटेड (एपीएल) में परिवर्तित हो गया है। हैदराबाद में लैंको और अदाणी के शीर्ष अफसरों के बीच हस्तांतरण की प्रक्रिया दो दिन पहले हुई, उसके बाद कोरबा स्थित लैंको प्लांट में भी कामकाज अदाणी पावर के नाम से गुरूवार से शुरू हो गया। आने वाले दो माह के अंदर प्लांट का बोर्ड बदल कर अदाणी पावर लिमिटेड दर्ज कर दिया जाएगा।

लैंको प्रबंधन ने 21 अगस्त को अपने बैंक एकाउंट बंद कर दिए और अदाणी पावर के बैंक खातों से कामकाज अब शुरू हो गया है। यहां वर्तमान में 525 अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं। ये यथावत रहेंगे, केवल शीर्ष स्तर के अधिकारी अदाणी पावर के भेजे जाएंगे। यह प्रक्रिया भी जल्द पूरी कर ली जाएगी, ताकि प्लांट का कामकाज अदाणी के नीति – रीति से हो सके। कोरबा जिला स्थित ग्राम पताढी में 1337 एकड़ भूमि में लैंको की 300-300 मेगावाट की दो इकाइयां वर्ष 2008-09 से संचालित है। 11 कंपनियों व बैंकों की 14 हजार 632 करोड़ रूपये की देनदारी थी। इसमें सर्वाधिक करीब सात हजार करोड़ पावर फाइनेंस कारपोरेशन का था। नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने लैंको की नीलामी की प्रक्रिया दो साल
में पूरी हुई। लैंको के पताढ़ी संयंत्र से हरियाणा व मध्य प्रदेश को 300-300 मेगावाट विद्युत आपूर्ति की जा रही है।

अदाणी की छत्तीसगढ़ में लैंको तीसरी बिजनेस प्रापर्टी हैं। इससे पहले अदाणी ने तिल्दा को पास स्थित जीएमआर पावर प्लांट को टेकओवर किया था। इससे पहले अडानी प्रबंधन कोरबा स्थित एक निजी प्लांट को ले चुका है। इसके अलावा ग्राम अकलतरा स्थित केएसके महानदी पावर को लिए 27000 हजार करोड़ की बोली लगा चुका है, जो सर्वाधिक है। यह प्लांट 1800 मेगावाट और एमओयू 3600 मेवा का हुआ है। इस प्लांट के लिए एनटीपीसी ने भी बोली लगाई है। अडानी, चांपा-जांजगीर में ही डीबी पॉवर प्लांट को भी लेने की तैयारी में है।

कर्मचारियों को दो साल से इंतजार है वेतन वृद्धि का

लैंको के नियमित कर्मचारियों के लिए हर पांच साल में वेतनमान में वृद्धि का प्रविधान है। निर्धारित समय के चार साल बाद भी वेतन वृद्धि नहीं की गई है। निर्माण कार्य के दौरान छत्तीसगढ़ समेत कोरबा के कई पेटी ठेकेदार व सप्लायरों का करोड़ों रूपये बकाया है। इसका भुगतान भी अब तक नहीं हो सका है। जिन किसानों की जमीन इस प्लांट के लिए अधिग्रहित की गई, उन्हें अब तक न तो उचित मुआवजा मिल सका है और न ही रोजगार।

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