जलेबी ऐतिहासिक रूप से इतना सीधे तरीके से उलझी है, कि वह हरियाणा में ईवीएम की मौजूदगी से कैसे सुलझेगी !

जलेबी ऐतिहासिक रूप से इतना सीधे तरीके से उलझी है, कि वह हरियाणा में ईवीएम की मौजूदगी से कैसे सुलझेगी !

शेख अंसार की कलम से….

जलेबी की एक जनप्रिय एवं सस्ता सुलभ मिठाई है। इसकी उत्पत्ति फारस ( अब ईरान ) से हुई है। इसे फारसी जुबान में जलिबिया कहा जाता है। कई देशो में इस मिठाई को अलग – अलग नामों से पुकारा जाता है। इतिहासकार की मानें तो व्यापारियों, कारीगरों और आक्रमणकारियों के साथ जलेबी भारत पहुंची।

इंडिया गठबंधन के मधुर सपने पूरे नही हुए लेकिन जनता के बजट के सपने को 120 रूपये किलो गोभी, 400 रूपये किलो लहसून, 200 रूपये किलो धनिया, 80‌ रूपये किलो भिन्डी, 60‌ रूपये किलो भाटा ने बिखेरकर रख दिया। 100 रूपये किलो टमाटर ने तो स्वादिष्ट चटनी को जिव्हा से लगातार वंचित कर रहा है, वहीं 60 रूपये किलो प्याज अपनी तासीर से आंखों को अफसोस के आंसुओं से भर दिया।

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