नकली दवाओं का धंधा, असली राजनीतिक संरक्षण के बगैर मुमकीन ही नही है।

नकली दवाओं का धंधा, असली राजनीतिक संरक्षण के बगैर मुमकीन ही नही है।

*लेख शेख अंसार की कलम से*

नकली दवाई का कारोबार हिन्दू – मुसलमान ही नही देश के खिलाफ है, देश की मासूम जिन्दगियों के खिलाफ जानलेवा है। दवा माफिया विजय गोयल आगरा के औद्योगिक क्षेत्र सिकंदरा – जगदीशपुरा में 80 करोड़ की नकली दवाई बनाकर देश के कई हिस्सों में खपा दिया है। विजय गोयल इंसान विरोधी इस कारोबार के लिए हिमाचल प्रदेश से 3 करोड़ रूपये में 16 मशीनें खरीद लाया था जिन मशीनों को बगैर लायसेंस और सरकारी अनुमति के बिना प्रयोग नही कर सकते उसे विजय गोयल पूरी दबंगई से संचालित कर रहा था। मानव विरोधी यह धंधा धड़ल्ले से इसलिए भी चल रहा था, क्योंकि सरकार, प्रशासन और एन्टी नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की आंखों से नही दिखने वाली सामंजस्य के साथ – साथ अदृश्य स्वीकृति भी थी।

22 अक्टूबर 2024 को एसीपी विनायक गोपाल भोंसले के निर्देश पर एन्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने विजय गोयल के कारखाना जैसे अड्डे में छापा मारकर 8 करोड़ रूपये की नकली दवाइयां जप्त किया। इन दवाईयों में मेटफॉर्मिन, एलप्राजोलम, कोडिन, पेट दर्द, सर दर्द, बदन दर्द जैसी नकली दवाइयां शामिल थी। गौरतलब है कि यह सारा अवैधानिक क्रियाकलाप सिकंदरा थाने से 4 किलोमीटर एवं औद्योगिक क्षेत्र पुलिस चौकी से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर संचालित हो रही थी।

तार्किक तौर यह सवाल उठाया जा सकता है, कि प्रशासन और सरकार यदि संरक्षण दे रही है, तो ये अपराधी जेल कैसे भेजें जातें हैं? तो इसका सरल और वास्तविक उत्तर यह है, कि सभी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी सरकार के हर फैसले से सहमत नही होते कुछ ईमानदार कत्तर्व्यनिष्ठ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जो कर्त्तव्यबोध से वशीभूत होकर ऐसे अपराधियों को धर दबोचते है।

पूंजीवाद की लालची मनोवृत्ति मनोदशा किसी भी दशा में इंसान को हाड़ मांस की चलती – फिरती कंकाल से ज्यादा कुछ मानने को तैयार ही नही है। वर्ना सरकार यदि ठान लें तो मजाल है कोई कारोबारी प्लास्टिक का चांवल, नकली दवा, मानक विरोधी डिब्बे का अशुद्ध पानी, अशुद्ध दूध, नकली बाल, नकली खाल, बेंच सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने एक न्यायिक जुमला रचा है। ज़मानत नियम है, जेल अपवाद, इसके चलते बड़े – बड़े अपराधिक वादी छूट जाते हैं और सामाजिक कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता, पत्रकार, लेखक, आम इंसान जेल में सड़ते रहते हैं।

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