मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में 1536 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला बांधवगढ़ नेशनल पार्क बाघों की उच्च घनत्व वाली आबादी के लिए दुनियाभर में मशहूर है. वर्ष 2018-19 में, लगभग 40 जंगली हाथियों का एक दल ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते यहां आ पहुंचा था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में मध्य प्रदेश में करीब 150 हाथी हैं, जिनमें से लगभग 70 हाथी बांधवगढ़ नेशनल पार्क में रहते हैं.
ये क्षेत्र इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष के लिए भी जाना जाता है. यहां हाथियों के साथ-साथ बाघ और भालू के कारण भी संघर्ष के कई मामले सामने आए हैं. शनिवार को ही एक जंगली हाथी ने तीन लोगों को कुचल दिया, जिसमें दो की मौत हो गई.
जानकारो का मानना है कि इंसानों और जानवरों की बढ़ती आबादी और इसके प्रबंधन में कमी इस तरह के संघर्ष का कारण बन रहे हैं. वाइल्डलाइफ़ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं, “आज हाथियों ने दो लोगों को मारा है. अब इसको लेकर लोग भी हिंसक होंगे. जो बांधवगढ़ में फ़ील्ड के अधिकारी हैं, उन्हें मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन की जानकारी नहीं है. ये उसी का नतीजा है जो हम देख रहे हैं.”
जानकार कहते हैं “ये भारत के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि देश वाइल्डलाइफ को रोज़गार का बड़ा सेक्टर मानता है. इस तरह की घटनाओं से न केवल पर्यटन प्रभावित होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी छवि पर नकारात्मक असर पड़ेगा और इससे शिकारियों व तस्करों को बढ़ावा मिलेगा.”