रायपुर नगर निगम में जाति प्रमाण पत्र के पेंडिंग छह हजार आवेदनों के निराकरण के मांग की है। अधिवक्ता भगवानू नायक ने आवेदनों का निराकरण कर शीघ्र आवेदकों को जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्र बनाने में आ रही परेशानियों के संबंध में पूर्ववर्ती सरकार ने सरलीकरण के संबंध में अनेक आदेश पारित किया था, लेकिन सरलीकरण के बाद भी अधिकारी जाति प्रमाण पत्र बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर नगर निगम में विभिन्न जोनो से लगभग छह हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन सरकार ने इसमें से एक प्रतिशत भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया है, जो इन वर्गों के साथ अन्याय और इनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
उन्होंने कहा कि जब अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्यता को आधार मानकर शासन के द्वारा सीटों का निर्धारण किया जाता है, राजनीतिक आरक्षण घोषित किया जाता है, इन वर्गों के पास मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड, बिजली बिल, निवास प्रमाण पत्र, मकान का पट्टा, स्कूल प्रमाण पत्र इत्यादि होने के बाद भी इन वर्गों को जाति प्रमाण पत्र देने में क्या समस्या है समझ से परे है ? उन्होंने कहा सरकार में बैठे ज़िम्मेदार अधिकारीगण जानबूझकर वर्षों से पीड़ित इन वांचितों को जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं करना चाहते है, ये दबे कुचले, पिछड़े लोगों को समाज के मुख्यधारा आने नहीं देना चाहते है इसलिए सरलीकरण के बाद भी जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे है।
अधिवक्ता नायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुए 24 वर्ष व्यतीत हो गए, चार मुख्यमंत्री बन गए, छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजनीतिक दल भाजपा ने 15 साल और कांग्रेस 8 साल सत्ता में रही, लेकिन जाति प्रमाण पत्र की समस्या जस की तस है। उन्होंने कहा कि हजारों साल से समाज के मुख्यधारा से दूर, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को सामाजिक समानता का अधिकार दिलाने बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की है फिर भी संविधान की शपथ लेने वाले अधिकारीगण संविधान के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं। जबकि जाति प्रमाण पत्र के अभाव में इस वर्ग और समाज का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।