मस्जिदें, वक्फ बोर्ड की पैदाईश के बहुत पहले ही से कुरआन, हदीस की बिना पे से तालीम,नसीहतें, इत्तेहाद और इखलाक का पैगाम दे रही है।

मस्जिदें, वक्फ बोर्ड की पैदाईश के बहुत पहले ही से कुरआन, हदीस की बिना पे से तालीम,नसीहतें, इत्तेहाद और इखलाक का पैगाम दे रही है।

आपके बयान का निहितार्थ केवल यह है, कि लोग मस्जिदों को शक – ओं – सुबा की नज़र से देखने लगे और आपके राजनीतिक गलियारे में नाम हो जाए कि सलीम राज ने अध्यक्ष बनते ही मुस्लिमों को हड़का दिया।

हुजूर, मस्जिदों में तो हदीस कुरआन के मुतालिक, इत्तेहाद और इखलाक के मद्देनजर बयानात दिये जातें हैं। आप जरा जहमत उठाईये और उस सूची को खुली आंखों से देखिए जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ लहजे में नफरती भाषण के लिए किन – किन लोगों को चेतावनी दिया है। उसमें सभी आप ही के पार्टी के झण्डाबरदार है। अपनी तसल्ली और तसदीक के लिए राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (National crime records bureau ) के ताजातरीन जारी रिपोर्ट देखिए जहां 2014 में नफ़रती भाषण के 323 मामले दर्ज थे। 2014 से 2020 तक बढ़कर 1804 मामले हो गये है। इसमें 2024 तक के 4 सालों का ऑकड़ा शामिल नही है। जबकि इन 4 वर्षो में नफ़रती घटनाएं, नफरती भाषण, इंसानों की माब लीचिंग की घटनाएं बेधड़क हुई है।

हमारे मौलाना – मुतवल्ली तो वक्फ बोर्ड के वजूद में आने से बहुत पहले से ही हदीस और कुरआन की रौशनी में जो बयानात करते आ रहे हैं, उन्हें आप अपने राजनीति के तीन – तिकड़म के ज़रिए नियंत्रित नही कर सकते क्योंकि मस्जिदों में हदीस, कुरआन और इखलाक पर ही बयानात होते है।

क्या कहते है सलीम राज साहब – मस्जिद को राजनीतिक अखाड़ा नही बनने देना चाहते हैं। जम्मू – कश्मीर में वहां पर सियासत का अड्डा बनने के कारण वहां दंगे हुए पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं। इसीलिए आम रिवायत के मुताबिक जुमे की नमाज़ पर दिये जाने वाले तकरीर को वक्फ बोर्ड से पहले एप्रुवल कराना होगा।

साहब, वक्फ बोर्ड को गरीब – अमीर हर तबके का जमाती अपने इंतजामिया कमेटी के जरिए निगरानी रकम नगद देती हैं। आप एक अच्छे अभिभावक की तरह लोगों की वक्फ की हुई सम्पत्ति, परिसम्पतियों जैसे बेशकीमती मिल्कियत की निगरानी और हिफाजत करिये। वक्फ‌ बोर्ड को राजनीतिक अखाड़ा मत बनाइये। मस्जिदों पर पहरा, पाबंदी जैसे नापाक मनसूबो का ख्याल छोड़िये।

सलीम राज साहब आपको अपने उस सुनियोजित -‌ विभाजनकारी बयान के लिए जिसमें आपने यह कहा था, कि 2021 को कांग्रेस के शासनकाल में जुमे की नमाज़ के तुरंत बाद मौलाना के भड़काऊ तकरीर के बाद ही कवर्धा में हिन्दू – मुस्लिम के दंगे का माहौल बना था।

कवर्धा में जो हिन्दू – मुस्लिम का मामला तूल पकड़ा था। वह‌ पकडा़ने पर पकड़ा था। बहरहाल कवर्धा के उस घटना के दिन जुमा नही 3 अक्टूबर 2021 इतवार था। आपका झूठ एकदम से बेपर्दा हो गया

सलीम राज साहब आपको यह अच्छे से मालूम है, कि आपका अध्यक्ष पद पर मनोनयन किस तरह से हुआ है। देखने में आ रहा है, अतिउत्साह में कई मसलों – मुद्दों पर आपका बोल बचन लड़खड़ा जा रहा है। उस दिन पत्रकार के सवाल पर भी यही नज़ारा देखने को मिला, चाहो तो आप अपने खुद के उस बाईट को दुबारा देख सकते हैं।

फ़कत
सैय्यद अली अहमद
सदर, इंतजामिया कमेटी मोती मस्जिद तुलसीपुर राजनांदगांव

Chhattisgarh