उत्तर प्रदेश शिया वक्फ़ बोर्ड के भूतपूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अक्षम्य पाप करते हुए कुरआन शरीफ की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। कुरआन, इस्लाम और मुसलमान के खिलाफ किये गये याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2021 को खारिज करते हुए वसीम रिजवी पर सुप्रीम कोर्ट ने 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया। कुरआन की आयत को तो हटा नही पाए खुद ही इस्लाम से वफात कर गये इसके लिए वसीम रिज़वी ने वह दिन 6 दिसम्बर ( बाबरी मस्जिद शहादत 6 दिसम्बर 1990 ) 2021 तय कर वसीम रिज़वी से जितेन्द्र नारायण सिंह सेंगर बन गये। वसीम रिज़वी के वर्तमान दशा – दुर्दशा को यदि मैं लिखना भी चाहूं तो भी कलम इजाजत नही दे रही है।
छत्तीसगढ़ के वर्तमान सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज का संविधान, समाज, नमाज़, हदीस और कुरआन के खिलाफ किए विषवमन को हजारों – हजार कानों ने सून ही लिया है।
छत्तीसगढ़ के वक्फ बोर्ड के निर्वाचित नही मनोनीत चैयरमैन डॉ सलीम राज साहब ने हमारे लोकतांत्रिक देश में किसी रियासत के तानाशाह हुक्मरान की तरह मस्जिद, मौलाना के लिए जो निम्नस्तरीय बयान जारी कर देश में चल रहे मस्जिद – मदरसों के खिलाफ नफरती माहौल को और हवा देने का काम किया है। सलीम राज साहब के बयान की जितनी ख़िलाफत, मुखालफत, मजम्मत की जाएं कम है। सलीम राज के बयान से मालूम पड़ता कि उनके आबा – ओ – अजदाद ने कभी मस्जिद का रूख नहीं किया है। कौम के लिए नहीं सत्ता के अनुकूल राजनीति करने वाले ऐसे शख्स से कौन जमाती उम्मीद करेगा कि इन्हें नमाज़ के मुतालिक जानकारी होगी या यह मालूमात होगा कि जुमे की नमाज़ में कब तकरीर, कब ऐलान और कब ख़ुत्बा होती है ?
हालांकि किसी सिद्धहस्त पलटूराम की तरह सलीम राज साहब अपने पूर्व बयान से नज़र छुपाते हुए मुकर रहे हैं, लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए उनके बयान को सुन्नी मुसलमानों ने सुन लिया है। उन्हें इतनी आसानी से सत्ता कवच में छुपने नही देंगे, पूरे इत्मीनान उनके ऐसे नंगे बयानों को बेपर्दा करेंगे।
जनाब सलीम राज के चैनलों को दिये बयान और मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी आदेश दिनांक 18 नवम्बर 2024 में जमीन – आसमान का अन्तर तो है ही बारिकी से मुआयना करेंगे तो पायेंगे दोनों अन्तर मुसलमान काफ़िर की तरह है।
सैय्यद अली अहमद
सदर,
इंतजामिया कमेटी मोती मस्जिद तुलसीपुर राजनांदगांव